यूo पीo स्टेट
कन्स्ट्रक्शन
एण्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर
डेवलपमेंट कारपोरेशन
लिमिटेड
सामान्य सेवा
नियमावली
यूo
पीo स्टेट कन्स्ट्रक्शन
एण्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर
डेवलपमेंट कारपोरेशन
लिमिटेड के सेवको
की सेवा सम्बन्धी
मामलों के निस्तारण
के लिये तैयार
की गयी यह सेवा
नियमावली सार्वजनिक
उद्यम विभाग
द्वारा जारी
मॉडल सेवा नियमावली
के प्रारूप पर
आधारित है, उक्त
नियमावली निगम
के निदेशक मंडल
की दिनाँक 14.9.88
को सम्पन्न हुयी
42वीं बैठक में
अनुमोदित तथा
संयुक्त सचिव,
यूo पीo स्टेट
कन्स्ट्रक्शन
एण्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर
डेवलपमेंट कारपोरेशन
लिमिटेड अनुभाग-3,
उ0प्र0 शासन के
शासनादेश संख्या
3982/26-3-94-4(186)/92 दिनाँक
24.11.1994 द्वारा स्वीकृत
है। शासन के
आदेशानुसार
निगम के निदेशक
मण्डल की दिनाँक
22.12.94 को सम्पन्न
हुयी 67वीं बैठक
में उक्त सेवा
नियमावली को
निगम के सेवकों
पर लागू किये
जाने पर अनुमोदन
प्रदान किया
गया तथा नियमावली
निगम के सेवकों
को निगम के परिपत्रा
संख्या 1025/1-1(10)/स्था0/96
दिनाँक 12.2.96 द्वारा
परिचालित की
गयी है। नियमावली
में समय-समय
पर किये गये
संशोधन भी विभिन्न
कार्यालय आदेशों
के माध्यम से
समय-समय पर कार्मिकों
को परिचालित
किये गये हैं।
यूo पीo स्टेट
कन्स्ट्रक्शन
एण्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर
डेवलपमेंट कारपोरेशन
लिमिटेड
सामान्य
सेवा नियमावली
नदेशक
मण्डल एतद् द्वारा
पदों पर भर्ती
के विनियमन और
इस निगम में
सेवारत व्यक्तियों
या एतद्पश्चात्
नियुक्त व्यक्तियों
की सेवा की सामान्य
शर्तों की व्यवस्था
करने के लिए
निम्नलिखित
नियमावली बनाते
हैं। यह नियमावली
इस विषय पर समस्त
पूर्ववर्ती
प्रस्तावों
या आदेशों का
स्थान ले लेगी।
अध्याय-एक-प्रारम्भिक
1. संक्षिप्त
नाम और प्रारम्भः
|
(1)
यह नियमावली
यूo पीo स्टेट
कन्स्ट्रक्शन
एण्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर
डेवलपमेंट
कारपोरेशन
लिमिटेड सामान्य
सेवा नियमावली‘‘
कही जायेगी।
(2)
यह बोर्ड द्वारा
विनिश्चत दिनाँक
से प्रवृत्त
होगी।
|
2. लागू
होना (प्रयोज्यता)
|
(3)
विनिर्दिष्ट
रूप से अन्यथा
अभिव्यक्त
या विवक्षित
इम्प्लाइड
के सिवाय, यह
नियमावली अंश
कालिक कर्मचारियों,
प्रतिनियुक्ति
या संविदा पर
कर्मचारियों
को छोड़कर उन
सभी कर्मचारियों
पर लागू होगी
जो निगम की सेवा
में हैं।
प्रतिनियुक्ति
के कर्मचारी
अपने पैतृक
विभाग द्वारा
जारी प्रतिनियुक्ति
की निबन्धन
और शर्तों द्वारा
शासित होंगे।
संविदा के कर्मचारी
अपनी नियुक्ति
को शासित करने
वाली शर्तों
द्वारा शासित
होंगे।
परन्तु जहाँ
स्थायी आदेश
विधान या उपर्युक्त
आदेश मौन हो,
या इस नियमावली
में किसी मामले
पर जिसके लिये
उपबन्ध किया
गया हो, इस नियमावली
के उपबन्ध उस
सीमा तक ऐसी
श्रेणियों
पर भी लागू होंगे।
|
3. परिभाषाए
ं: जब तक कि विषय
या संदर्भ में
कोई प्रतिकूल
बात न होः-
(एक) नियुक्ति
प्राधिकारी
का तात्पर्य
नियुक्तियाँ
करने के लिये
शसक्त/सक्षम
प्राधिकारी
से है।
(दो) औसत वेतन
-अन्यथा उपबन्धित
के सिवाय औसत
वेतन का तात्पर्य
उस माह के तत्काल
पूर्ववर्ती
10 सम्पूर्ण महीनों
जिससे कि औसत
वेतन की गणना
का आवश्यक समय
पड़ता हो के दौरान
अर्जित औसत मासिक
वेतन से है।
(तीन) बोड का तात्पर्य
निगम के निदेशक
मण्डल से है।
(चार) अध्यक्ष
का तात्पर्य
निगम के अध्यक्ष
से है।
(पांच) सक्षम
प्राधिकारी
का तात्पर्य
ऐसे प्राधिकारी
से है, जिसे इस
रूप में चाहे
नाम निर्दिष्ट
किया गया हो,
या नहीं जो इस
नियमावली के
अधीन कोई या
सभी शक्तियां
प्रयोग करने
में सक्षम हो
या जिसे यथास्थिति
बोर्ड अध्यक्ष
या प्रबन्ध निदेशक
द्वारा किन्हीं
या सभी नियमों
के सम्बन्ध में
शक्तियां प्रत्यायोजित
की गई हों।
(छः) निगम का तात्पर्य
उत्तर प्रदेश
समाज कल्याण
निर्माण निगम
लिमिटेड से है।
(सात) कर्तव्य-
(क) कर्तव्य में
निम्नलिखित
सम्मिलित हैः-
(क) परिवीक्षाधीन
के रूप में सेवा।
(ख) कार्यारम्भ
काल।
(ख) सक्षम अधिकारी
द्वारा कर्तव्य
के रूप में घोषित
कोई अवधि।
(आठ) नियोजक का
तात्पर्य निगम
से है।
(नौ) जांच अधिकारी
का तात्पर्य
किसी कर्मचारी
द्वारा किये
जाने वाले कृत्य
के सम्बन्ध में
जांच करने के
लिए सक्षम प्राधिकारी
द्वारा नियुक्त
किसी अधिकारी
से है।
(दस) कर्मचारी
के परिवार का
तात्पर्य विधिक
रूप से अपनायी
गई एक पत्नी,
बैध बच्चे, सौतेले
बच्चे, अभिभावक,
अविवाहित या
विधवा वंशीय
बहन या भाई से
है, जो पूर्णतया
उस पर आश्रित
हों।
(ग्यारह) राज्य
सरकार का तात्पर्य
उत्तर प्रदेश
की सरकार से
है।
(बारह) प्रधान
कार्यालय का
तात्पर्य निगम
के पंजीकृत कार्यालय
से है।
(तेरह) प्रबन्ध
निदेशक का तात्पर्य
निगम के प्रबन्ध
निदेशक से है,
और उसके द्वारा
प्रयोग किये
जाने योग्य किसी
शक्ति के सम्बन्ध
में ऐसा निदेशक
या अधिकारी भी
सम्मिलित है
जो प्रबन्ध निदेशक
की अस्थायी अनुपस्थिति
के दौरान प्रबन्ध
निदेशक की शक्ति
और कृत्यों का
प्रयोग करने
के लिए बोर्ड
द्वारा प्राधिकृत
हो।
(चैदह) महीने
का तात्पर्य
दिनों की संख्या
को ध्यान दिये
बिना किसी सम्पूर्ण
कलेण्डर माह
से है।
(पन्द्रह) वेतन
का तात्पर्य
किसी कर्मचारी
द्वारा मासिक
रूप से निम्नलिखित
रूप से आहरित
की गई धनराशि
से हैः-
(क) पद के लिए स्वीकृत
मूल वेतन,
(ख) विशेष वेतन
या वैयक्तिक
वेतन,
(ग) कोई अन्य परिलब्धियां
जिनको बोर्ड
द्वारा वेतन
के रूप में विशेष
रूप से वर्गीकृत
किया जाय। इसके
अन्तर्गत मंहगाई
भत्ता, बोनस,
यात्रा भत्ता
या अन्य ऐसे
भत्ते सम्मिलित
नहीं है।
(सोलह) वैयक्तिक
वेतन का तात्पर्य
किसी कर्मचारी
को प्रदान किये
गये ऐसे अतिरिक्त
वेतन से हैः-
(क) जो किसी अस्थायी
पद से भिन्न
किसी निमित पद
के सम्बन्ध में
वेतन के पुनरीक्षित
किये जाने या
अनुशासनात्मक
कार्यवाही से
अन्यथा रूप में
ऐसे वेतन को
किसी प्रकार
घटाये जाने के
कारण मौलिक या
वेतन की हानि
से उसको बचाने
के लिए दिया
जाय।
या
(ख) आपवादिक परिस्थितियों
में अन्य व्यक्तिगत
सोच विचार पर।
(सत्राह) नियमित
कर्मचारी का
तात्पर्य ऐसे
कर्मचारी से
है, जिसका सेवायोजन
उसके संयोजन
की शर्तो के
द्वारा तीन महीने
की सूचना पर
समाप्त किये
जाने योग्य हो
या, जिसे निगम
के अधीन समय
की सीमा के बिना
किसी स्वीकृत
पद के प्रति
नियमित किया
गया हो।
(अठ्ठारह) अस्थायी
कर्मचारी का
तात्पर्य ऐसे
कर्मचारी से
है, जिसकी नियुक्ति
उसके अनुबन्ध
पत्रा के अनुसार
दोनों में किसी
भी ओर से एक माह
की सूचना देकर
या उसके एवज
में वेतन देकर,
समाप्त किये
जाने योग हो।
(उन्नीस) अस्थायी
पद का तात्पर्य
अस्थायी रूप
से सृजित किसी
पद से है।
(बीस) परिवीक्षाधीन
व्यक्तिः-का
तात्पर्य ऐसे
कर्मचारी से
है, जो किसी रिक्ति
को भरने के लिए
अन्तिम रूप से
सेवायोजित किया
गया हो या निगम
में किसी पद
पर पदोन्नत किया
गया हो और परिवीक्षा
के अधीन हो अर्थात्
उसने यथास्थिति
परिवीक्षा की
विनिर्दिष्ट
अवधि या बढ़ायी
गयी परिवीक्षा
की अवधि को पूरा
न किया हो और
सक्षम प्राधिकारी
द्वारा परिवीक्षा
अवधि के सफलता
पूर्वक पूर्ण
किये जाने का
कोई लिखित आदेश
उसके लिए जारी
किया गया हो।
(इक्कीस) नियमावली
का तात्पर्य
उत्तर प्रदेश
समाज कल्याण
निर्माण निगम
लि0 सामान्य
सेवा नियमावली
से है, और उसके
सभी संशोधन इसमें
समाविष्ट होंगे।
(बाइस) विशेष
वेतन का तात्पर्य
किसी पद या किसी
कर्मचारी की
परिलब्धियों
पर निम्नलिखित
के प्रतिफल में
बोर्ड द्वारा
प्रदान की जाने
वाली, वेतन की
प्रकृति के किसी
परिवर्धन से
हैः-
(क) अति श्रमसाध्य
प्रकृति के कर्तव्यः
या
(ख) कार्य या उत्तरदायित्व
में कोई विनिर्दिष्ट
परिवर्धन।
(तेइस) सेवा का
तात्पर्य निगम
की सेवा से है।
(चैबीस) किसी
कर्मचारी के
सम्बन्ध में
अधिवार्षिता
से तात्पर्य
उसके द्वारा
58 (अठ्ठावन) वर्ष
की आयु के प्राप्त
करने से है और
जिसकी प्राप्ति
पर कर्मचारी
सेवायोजन रिक्त/खाली
कर देगा।
4. इस
नियमावली में
संशोधन
(1) इस नियमावली
में परिवर्धन,
परिवर्तन या
विलोपन के द्वारा
कोई भी संशोधन
केवल बोर्ड के
प्रस्तावित
प्राधिकारी
द्वारा किया
जाएगा और कर्मचारियों
को या तो परिचालन
द्वारा या निगम
के सूचना पट्ट
पर प्रकाशन द्वारा
बोर्ड द्वारा
निश्चित किये
गये किसी अन्य
प्रकार से इसे
अधिसूचित किया
जायेगा।
(2) इस नियमावली
में किसी संशोधन
को अधिसूचित
करने में कोई
अनियमितता या
आकस्मिक चूक
ऐसे संशोधन को
किसी भी सीमा
तक अमान्य नहीं
करेंगा।
5. शिथिलीकरण
की शक्ति
जहाँ बोर्ड को
यह समाधान हो
जाय कि किसी
नियम के प्रवर्तन
से किसी विशिष्ट
मामले में अनुसूचित
कठिनाई होती
है, वहाँ वह उस
मामले में लागू
नियमों में किसी
बात के होते
हुए भी प्रस्ताव
द्वारा उस नियम
की अपेक्षाओं
को उस सीमा तक
और ऐसी शर्तों
के अधीन रहते
हुए, जिन्हें
वह मामले में
न्यायसंगत और
साम्यपूण्ज्र्ञ
रीति से कार्यवाही
करने के लिये
आवश्यक समझे,
निगम के हित
से संगत या उसके
अनुरूप अभिमुक्त
या शिथिल कर
सकती है।
6. निर्वचन एवं
परिपालन
(1) इस नियमावली
के निर्वचन
(व्याख्या) की
शक्ति प्रबन्ध
निदेशक में होगी,
जोकि इस नियमावली
के उपबन्धों
के प्रयोजनों
को प्रभावी बनाने
और उनको पालन
कराने के लिए
ऐसे प्रशासनिपक
अनुदेश जारी
कर सकता है, जैसे
आवश्यक समझे
जाय।
(2) यदि कोई कर्मचारी
इसके किसी नियम
के निर्बधन या
परिपालन के कारण
सम्बन्ध में
व्यथित/अपकृत
अनुभव करता है,
तो उसे बोर्ड
से अपील करने
का अधिकार होगा,
जिसका निर्णय
सभी सम्बन्धित
(व्यक्तियों)
पर अन्तिम और
बाध्यकारी होगा।
(3) बोर्ड या बोर्ड
से उचित प्राधिकार
के अधीन प्रबन्ध
निदेशक, ऐसे
प्रशासनिक अनुदेशों
को जारी करने
के लिए निगम
के किसी अधिकारी
को या अधिकारियों
की किसी समिति
को, जैसा वह विनिर्दिष्ट
करें, समय-समय
पर अपनी किन्हीं
शक्तियों को
प्रत्यायोजित
कर सकता है।
अध्याय-दो
भर्ती की समान्य
शर्तें
7. पद
की वर्गीकरणः
(1) नियुक्ति, नियंत्राण
और अनुशासन के
प्रयोजनों के
लिए निगम के
अधीन पदों का
वर्गीकरण विस्तृत
रूप से परिशिष्ट
क के अनुसार
होगा।
(2) यथापि परिषद
किसी विशिष्ट
वर्ग या पदो
के वर्गो के
सम्बन्ध में
वर्गीकरण को
परिवर्तित कर
सकता है।
(3) बोर्ड, सभी वर्गो
में पदों की
संख्या और उनके
वेतनमानों को
भी समय-समय पर
नियत करेगा।
8. राष्ट्रीयता:-
निगम के अधीन
किसी पद या सेवा
में भर्ती के
लिए यह आवश्यक
है कि अभ्यर्थी:-
(क) भारत का नागरिक
हो, या
(ख) तिब्बती शरणार्थी
हो, जो भारत में
स्थायी निवास
के अभिप्राय
से पहली जनवरी
1962 के पूर्व भारत
आया हो, या
(ग) भारतीय उद्भव
का ऐसा व्यक्ति
हो जिससे भारत
में स्थायी निवास
के अभिप्राय
से पाकिस्तान,
वर्मा, श्रीलंका,
या किसी पूर्वी
अफ्रीकी देश,
केनिया युगांडा
और युनाइटेड
रिपब्लिक आफ
तन्जानिया (पूर्ववर्ती
तांगानिका और
जंजीवार) से
प्रवजन किया
हो:
परन्तु उपर्युक्त
श्रेणी (ख) या
(ग) के अभ्यर्थी
को ऐसा व्यक्ति
होना चाहिए जिसके
पक्ष में सरकार
द्वारा पात्राता
का प्रमाण-पत्रा
जारी किया गया
हो:
परन्तु यह और
कि श्रेणी (ख)
के अभ्यर्थी
से यह भी अपेक्षा
की जाएगी कि
वह पुलिस उप
महानिरीक्षक,
अभिसूचना शाखा,
उत्तर प्रदेश
से पात्राता
का प्रमाण-पत्रा
प्राप्त कर ले।
परन्तु यह भी
कि यदि कोई अभ्यर्थी
उपर्युक्त श्रेणी
(ग) का हो तो पात्राता
का प्रमाण-पत्रा
एक वर्ष से अधिक
अवधि के लिये
जारी नहीं किया
जायेगा और ऐसे
अभ्यर्थी को
एक वर्ष की अवधि
के आगे सेवा
में इस शर्त
पर रहने दिया
जाएगा कि वह
भारत की नागरिकता
प्राप्त कर लें।
टिप्पणीः
ऐसे अभ्यर्थी
को जिसके मामले
में पात्राता
का प्रमाण-पत्रा
आवश्यक हो, किन्तु
वह न तो जारी
किया गया हो
और न देने से
इन्कार किया
गया हो, इस शर्त
पर किसी परीक्षा
या साक्षात्कार
में सम्मिलित
किया जा सकता
है, और अनन्तिम
रूप से नियुक्त
भी किया जा सकता
है, कि आवश्यक
प्रमाण-पत्रा
उसके द्वारा
प्राप्त कर लिया
जाय या उसके
पक्ष में जारी
कर दिया जाय
और उसे निगम
को निगम द्वारा
या उस सम्बन्ध
में प्राधिकृत
किसी व्यक्ति
द्वारा नियत
समय के भीतर
उपलब्ध कराया
जाय।
9-आयु(1)
निगम के अधीन
किसी पद पर सीधी
भर्ती के लिए
यह आवश्यक है,
कि श्रेणी "घ"
के पदो के लिए
अभ्यर्थी की
आयु 18 वर्ष से
कम न हो और अन्य
सभी पदों के
लिए 21 वर्ष से
कम न हो। सभी
पदों के लिए
उच्चतम आयु सीमा,
जब तक राज्य
सरकार या बोर्ड
द्वारा अन्यथा
निश्चित न किया
जाय, 32 वर्ष होगी।
(2) अनुसचित जाति
और अनुसूचित
जनजाति के अभ्यर्थियों
के मामले में
अधिकतम आयु सीमा
में पांच वर्ष
की या समय-समय
पर राज्य सरकार
द्वारा विहित
छूट प्रदान की
जायेगी।
बोर्ड उन निगम
कर्मचारियों
के लिए अधिकतम
आयु सीमा विहित
कर सकता है जो
सीधी भर्ती द्वारा
भरे जाने वाले
पदों पर आवेदन
करने के लिये
पात्रा है।
(3) प्रत्येक कर्मचारी
अपनी नियुक्ति
के प्रारम्भ
में नियुक्ति
प्राधिकारी
के संतोष के
अनुरूप अपनी
आयु का प्रमाण
प्रस्तुत करेगा।
(4) कर्मचारी द्वारा
प्रस्तुत किया
जाने वाला आयु
का प्रमाण, उसके
द्वारा हाई स्कूल
या समकक्ष परीक्षा
उत्तीर्ण किये
जाने का प्रमाण-पत्रा
होगा, या जहाँ
कर्मचारी ने
ऐसी परीक्षा
न उत्तीर्ण की
हो, या जहां किसी
ऐसे कारण से,
जो उसके वश में
न हो, उसके द्वारा
ऐसा प्रमाण-पत्रा
प्रस्तुत करना
सम्भव न हो तो
कर्मचारी नियुक्ति
प्राधिकारी
के संतोष के
अनुरूप आयु का
कोई अन्य प्रमाण
प्रस्तुत करेगा।
(5) किसी कर्मचारी
द्वारा उत्तीर्ण
हाई स्कूल या
समकक्ष परीक्षा
के प्रमाण-पत्रा
में अभिलिखित
उसके जन्म की
तिथि, या जहाँ
किसी कर्मचारी
ने ऐसी परीक्षा
उत्तीर्ण न की
हो तो उपर्युक्त
रूप से, उसके
सेवा में प्रवेश
करने के समय
उसकी सेवा पुस्तिका
में अभिलिखित
जन्म की तिथि
या आयु यथास्थिति
उसकी सही जन्म
की तिथि या आयु
समझी जायेगी
और ऐसी तिथि
या आयु को ठीक
करने/बदलने के
लिये किसी भी
परिस्थिति में
कोई आवेदन या
अभ्यावेदन ग्रहण
नहीं किया जाएगा।
10. अर्हता (एक)
बोर्ड या नियुक्ति
प्राधिकारी
विभिन्न पदों
के लिए अपेक्षित
न्यूनतम अनिवार्य
अर्हताएं, वांछनीय
आर्हताएं और
विनिर्दिष्ट
अनुभव भी निर्धारित
करेगा। निगम
में वर्तमान
में स्वीकृत
पदों की अर्हताएं/अनुभव
परिशिष्ट क‘‘
के अनुसार होगी।
(दो) किसी पद पर
सीधी नियुक्ति
करने के पूर्व
नियुक्ति प्राधिकारी
को सम्बन्धित
जिले के पुलिस
अधीक्षक के माध्यम
से पदधारी के
पूर्ववृत्त
और चरित्रा का
सत्यापन करवा
लेना चाहिए,
परन्तु अल्पकालिक
रिक्तियों को
भरते समय आकस्मिक
श्रम या समान
प्रकार के अबन्ध
में ऐसा सत्यापन
आवश्यक न होगा।
11. सेवा में किसी
पद पर सीधी भर्ती
के लिए अभ्यर्थी
का चरित्रा ऐसा
होना चाहिए कि
वह सरकारी सेवा
में सेवायोजन
के लिए सभी प्रकार
से उपयुक्त हो
सके।
टिप्पणी:-
संघ सरकार या
किसी राज्य सरकार
या किसी स्थानीय
प्राधिकारी
द्वारा संघ सरकार
या किसी राज्य
सरकार के स्वामित्वाधीन
या नियंत्राणाधीन
किसी निगम या
निकाय द्वारा
पदच्युत व्यक्ति
पात्रा नहीं
समझें जाएगें।
कोई दोष सिद्धि
स्वयं में किसी
अच्छे चरित्रा
प्रमाण-पत्रा
की अस्वीकृति
न होगी। दोष
सिद्धि की कारणगत
परिस्थितियों
पर विचार किया
जाना चाहिए और
यदि उस परिस्थितियों
में नैतिक अधमता
सम्मिलित न हो,
या अपराध हिंसा
या किसी ऐसे
आन्दोलन से सम्बन्ध
न हो जिसका उद्देश्य
विधि द्वारा
स्थापित किसी
सरकार को हिंसात्मक
तरीके से हटाना
हो, तो मात्रा
दोषसिद्धि की
अनर्हता के रूप
में नहीं माना
जायेगा।
12. शारीरिक स्वस्थता:-
किसी अभ्यर्थी
को किसी पद पर
नियुक्ति नहीं
किया जाएगा जब
तक कि मानसिक
और शारीरिक दृष्टि
से उसका स्वास्थ्य
अच्छा न हो और
वह किसी ऐसे
शारीरिक दोष
से मुक्त न हो
जिससे उसे अपने
कर्तव्यों का
दक्षतापूर्वक
पालन करने में
बाधा पड़ने की
संभावना हो।
इस प्रयोजन हेतु
प्रत्येक अभ्यर्थी
से ऐसे चिकित्सकीय
प्राधिकारी,
जैसा कि बोर्ड
या नियुक्ति
प्राधिकारी
के द्वारा विनिर्दिष्ट
किया जाए, के
समझ उपस्थित
होने की अपेक्षा
की जाएगी। नियुक्ति
प्राधिकारी,
सेवा की अवधि
के दौरान किसी
भी समय किसी-किसी
कर्मचारी के
चिकित्सकीय
परीक्षण का निर्देश
दे सकता है।
यदि उसका समाधान
हो जाए कि ऐसा
करना निगम के
हित में होगा।
चिकित्सकीय
रूप से उसे अस्वस्थ
पाये जाने पर
उसकी सेवाएं
बिना किसी सूचना
के समाप्त कर
दी जाएगी।
13. वैवाहिक प्रस्थिति:-
(1) निगम के अधीन किसी पद पर नियुक्ति के लिए ऐसा पुरूष अभ्यर्थी पात्रा न होगा जिसकी एक से अधिक पत्नियां जीवित हो, और ऐसी महिला अभ्यर्थी पात्रा न होगी जिसने ऐसे पुरूष से विवाह किया हो जिसकी पहले से एक पत्नी जीवित हो।
(2) नियुक्ति प्राधिकारी, यदि उसका समाधान हो जाय कि किसी व्यक्ति को इस नियम के प्रवर्तत से छूट देने के लिए विशेष कारण विद्यमान हैं तो उसे मामले को बोर्ड को निर्दिष्ट कर सकता है, जिसका निर्णय अन्तिम होगा।
14. पदों का आरक्षण:-
निगम के अधीन पदों के सम्बन्ध में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, पिछड़े वर्गों और किसी अन्य श्रेणियों के व्यक्तियों के लिए आरक्षण राज्य सरकार के ऐसे आदेशों के अनुसार होगा जो समय-समय पर उनके आरक्षण के लिए मार्गदर्शी सिद्धान्तों और/या निर्देशों के निर्गम के माध्यम से जारी या लागू किये जाएगें।
अध्याय-तीन
भर्ती और नियुक्ति
15. पदों का सृजन:-
बोर्ड समय-समय पर ऐसे पदों का सृजन कर सकता है, जो वह उचित समझें किन्तु वे सदा राज्य सरकार के ऐसे निर्देशों के यदि कोई हो, अधीन होंगे, जैसा वह समय-समय पर जारी करें। निगम की सेवा के प्रत्येक वर्ग के पदों की संख्या, बोर्ड द्वारा समय-समय पर अवधारित की जायेगी। बोर्ड किसी विशिष्ट श्रेणी या श्रेणियों के पदों को सृजित करने की शक्ति प्रबन्ध निदेशक या अन्य अधिकारियों को प्रत्यायोजित कर सकती है। बोर्ड अथवा ऐसे अधिकारी, जिन्हे पद के सृजन का अधिकार प्रत्यायोजित किया गया है द्वारा सृजित पद शासकीय अनुमोदन हेतु शासन को संदर्भित किये जाएगें तथा उस पर शासकीय अनुमोदन प्राप्त होने पर पद सृजित माना जायेगा।
(1) निगम में वर्तमान में सृजित पदों, श्रेणी, भर्ती के स्रोत, पद की योग्यता/अर्हता तथा पद किस पदधारक की पदोन्नति से भरा जायेगा, आदि का विवरण परिशिष्ट 'क' के अनुसार निर्धारित किया जाता है।
16. नियुक्ति प्राधिकारी:-
बोर्ड समय-समय पर विभिन्न नियुक्ति प्राधिकारियों को विहित करेगा और जब तक इस प्रकार विहित न हो, प्रबन्ध निदेशक ही नियुक्ति प्राधिकारी होंगे।
17. नियुक्तियाँ:-
(1) नियुक्तियाँ या तो:-
(क) सीधी भर्ती द्वारा की जायेगी।
टिप्पणी: यदि अपेक्षित हो, कोई अन्य प्राधिकारी प्रतिस्थापित कर लिया जाए।
(ख) विभागीय परीक्षा या साक्षात्कार या चयन के माध्यम से या राज्य सरकार या बोर्ड द्वारा समय-समय पर विहित किसी अन्य प्रकार द्वारा निगम कर्मचारियों में से पदोन्नत द्वारा की जाएगी।
(ग) प्रतिनियुक्ति द्वारा या पुनः सेवायोजन या संविदा के आधार पर की जायेगी।
(घ) बोर्ड द्वारा यथा अनुमोदित किसी अन्य स्रोत से की जायेगी।
(2) निगम में समूह 'क' के सभी पद निगम के अन्तर्गत पात्रा कर्मचारियों में से पदोन्नति द्वारा भरे जाएगें। फिर भी यदि किसी समय में पदोन्नति द्वारा पदों को भरने के लिए विहित अर्हता और अनुभव को पूरा करने वाले, पात्रा अभ्यर्थियों की पर्याप्त संख्या उपलब्ध्या न हो तो निगम इन पदों को खुली प्रतियोगिता द्वारा भर सकता है। प्रतिबन्ध यह होगा कि जिन पदों के वेतनमान का अधिकतम रू0 18,300/- या इससे अधिक है, उन पदों पर चयन की कार्यवाही सार्वजनिक उद्यम विभाग के शासनादेश सं0 588/44-2-2004 -11/च0स0/90 दिनाॅक 18.11.2004 द्वारा शासन स्तर पर गठित चयन समिति के माध्यम से की जायेगी।
(3) सहायक अभियन्ता (डि0) के पदों को छोड़कर समूह-ख‘‘ के पचास प्रतिशत पद खुली प्रतियोगिता चयन द्वारा भरे जायेगें और शेष पचास प्रतिशत निगम के पात्रा अभ्यर्थियों में से पदोन्नति द्वारा भरे जाने हेतु आरक्षित होगें, फिर भी, यदि किसी समय यह पाया जाता है कि पदान्नति द्वारा कोटे को पूरा करने के लिए पर्याप्त संख्या में कर्मचारी उपलब्ध नहीं हैं तो निगम इन पदों को भी खुली प्रतियोगिता चयन द्वारा भर सकता है। अतः सीधी भर्ती या पदोन्नति द्वारा भर्ती के लिए कोटे के बारे में कोई दृढ़ता नहीं होगी और न ही पश्चात्वर्ती वर्षों के लिए रिक्तियां आगे ले जायी जायेगी। सहायक अभियन्ता (डि0) के शतप्रतिशत पद सीधी भर्ती/खुली प्रतियोगिता/चयन द्वारा भरे जायेगें। समूह 'ख' के अन्तर्गत सहायक अभियन्ता (सिविल/विद्युत) के पद पर प्रोन्नति हेतु निर्धारित 50 प्रतिशत के कोटे में से 7 प्रतिशत पद ए0एम0आई0ई0/बी0ई0/बी0 टेक डिग्री होल्डर अवर अभियन्ताओं की पदोन्नति हेतु इस प्रतिबन्ध के साथ आरक्षित होंगे कि सम्बन्धित अभ्यर्थी द्वारा अवर अभियन्ता पद पर 7 वर्ष की अर्हकारी सेवा पूर्ण कर ली हो।
समूह 'ग' के अधीन निम्नतम स्तर के पदों को छोड़कर अवशेष सभी पदों को शतप्रतिशत निगम के कर्मचारियों में से पदोन्नति द्वारा भरा जायेगा। समूह 'ग' में लिपिक संवर्ग के अन्तर्गत न्यूनतम (निम्नतम) सहायक ग्रेड-2/वसूली सहायक ग्रेड-2 के 25 प्रतिशत पद समह 'घ' की पदोन्नति द्वारा भरे जायेगें, उक्त पदोन्नति शासन द्वारा समय-समय पर जारी शासनादेशों में निहित शर्तें पूण्ज्र्ञ करने तथा प्रतियोगितात्मक परीक्षा के आधार पर की जायेगी।
लिपिक संवर्ग के अन्तर्गत उक्त सहायक ग्रेड-2/वसूली सहायक ग्रेड-2 के अवशेष 75 प्रतिशत पद सीधी भर्ती द्वारा भरे जायेगें।
समूह 'घ' के अन्तर्गत निम्नतम स्तर के पदों को छोड़कर अवशेष पद आन्तरिक पदोन्नति द्वारा भरे जायेगें। निम्नतम स्तर के सभी पद सीधी भर्ती के अन्तर्गत खुली भर्ती चयन द्वारा भरे जायेंगे।
समह 'क' को छोड़कर समूह 'ख', 'ग' एवं 'घ' के अन्तर्गत वर्गीकृत प्रोन्नति से भरे जाने वाले पदों पर अनुपयुक्त को छोड़ते हुए ज्येष्ठता के आधार पर भरा जायेगा। समूह 'क' के अन्तर्गत ऐसे पद जिनके वेतनमान का अधिकतम रू0 18300/- या उससे अधिक है, उन पदों पर श्रेष्ठता के आधार पर पदोन्नति की कार्यवाही की जायेगी, जबकि अवशेष पद अनुपयुक्त को छोड़ते हुए ज्येष्ठता के आधार पर पदोन्नति से भरे जायेगें।
(4) इस नियमावली में भर्ती के स्रोतों के सम्बन्ध में किसी प्रतिकूल बाते के होते हुए भी बोर्ड को भर्ती के स्रोतों या सीधी भर्ती, पदोन्नति के लिए नियत प्रतिशत को संशोधित करने का पूर्ण अधिकार होगा और बोर्ड का निर्णय प्रत्येक ऐसे मामले में अन्तिम होगा। तथापि बोर्ड अपने निर्णय लेते समय, समय-समय पर राज्य सरकार द्वारा जारी निर्देशों, यदि कोई हो, का दृढ़तापूर्वक पालन करेगा।
(5) यदि कोई कर्मचारी जो पहले से निगम में कार्य कर रहा हो, किसी सीधी भर्ती के पद के लिए आवेदन करता है और वह किसी उच्चतर पद पर चयनित कर लिया जाता है, तो उसे पद पर सीधे नियुक्त समझा जायेगा। ऐसे कर्मचारी को अपने मूल पद से त्याग-पत्रा देना होगा, जिससे वह नये पद पर कार्यभार ग्रहण कर सके। इस प्रकार के नियुक्त व्यक्ति की पूर्व पद पर की गयी सेवायें निम्न प्रायोजनों हेतु संज्ञान में ली जायेगी।
1. सेवा नैवृत्तिक लाभ यथा ग्रेच्युटी आदि के लिए।
2. मौलिक पद पर अर्जित किये गये अवशेष अवकाश को अधिकतम 300 दिन की सीमा के अधीन रहते हुए अग्रनीत करने के लिए।
3. वेतन संरक्षण के लिए।
ऐसे चयन को पदोन्नति के रूप में नहीं समझा जायेगा।
4. निगम में एप्रेन्टिसशिप एक्ट 1961 (संशोधित एक्ट 1973) के अन्तर्गत एक वर्षीय प्रशिक्षण प्राप्त शिक्षुक्षुओं को सीधी भर्ती में निम्न रियायतें अनुमन्य होंगी।
(अ) प्रशिक्षु के रूप में सफलतापूर्वक प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थियों को अन्य बात समान रहते हुए सीधी भर्ती के अन्य अभ्यर्थियों की अपेक्षा वरीयता प्रदान की जायेगी।
(ब) प्रशिक्षु के रूप में प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थियों के नाम सेवायोजन कार्यालय के माध्यम से मंगाये जाने या सेवायोजन कार्यालय में उनके नाम पंजीकृत होने की अनिवार्यता होने की शर्त (यदि हो) शिथिल की जायेगी।
(द) प्रशिक्षु के रूप में प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थियों को यथावश्यक अधिकतम आयु सीमा से छूट प्रदान की जायेगी।
(य) पूर्व प्रशिक्षण प्राप्त प्रशिक्षुओं के बाद में प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले प्रशिक्षुओं से वरिष्ठ माना जायेगा अर्थात् उस व्यक्ति को वरीयता दी जायेगी जिसने पहले प्रशिक्षण प्राप्त किया हो।
18. चयन:-
नियम 14 और नियम 17 के उपबन्धों के अधीन रहते हुए बोर्ड चाहे सीधी भर्ती या अपने संवर्गो के भीतर पदोन्नति द्वारा निगम में विभिन्न पदों को भरने के लिए चयन के प्रकार को समय-समय पर निश्चित कर सकता है। प्रत्येक चयन के समय बोर्ड/प्रबन्ध निदेशक द्वारा एक चयन समिति गठित की जायेगी, जिसमें पांच से कम व्यक्ति नहीं होंगे। ऐसे पद जिनके वेतनमान का अधिकतम नये वेतनमानों में रू0 18300/- से कम किन्तु रू0 15200/- से अधिक हो, पर चयन के लिए गठित की जाने वाली चयन समिति में महानिदेशक, सार्वजनिक उद्यम ब्यूरों अथवा उनके द्वारा नामांकित अधिकारी को सदस्य के रूप में सहयुक्त किया जायगा। चयन समिति द्वारा चयन के लिए वरीयता के क्रम में व्यवस्थित रूप से अभ्यर्थियों की एक सूची (पैनल) बनायी जायेगी और उसे अपनी संस्तुतियों के साथ नियुक्ति प्राधिकारी को प्रस्तुत किया जायेगा। इस रीति से तैयार की गयी कोई भी ऐसी सूची (पैनल) अपने अन्तिम रूप से तैयार किये जाने के दिनाॅक से एक वर्ष के लिए प्रभावी/प्रवृत्त रहेगी और उक्त एक वर्ष की अवधि के दौरान किसी रिक्ति की दशा में नियुक्ति प्राधिकारी, नये आवेदन पत्रा आमंत्रित किये बिना अभ्यर्थी/अभ्यर्थियों को उस क्रम में नियुक्त कर सकता है, जिसमें उनके नाम सूची (पैनल) में व्यवस्थित किये गये हैं। ऐसे पद जिनका वेतनमान का अधिकतम रू0 18300/- या उससे अधिक है, पर चयन की कार्यवाही सार्वजनिक उद्यम विभाग, उ0 प्र0 शासन के अन्तर्गत गठित चयन समिति द्वारा की जायेगी।
19-सेवा का प्रारम्भ:-
(1) इस नियमावली के अधीन या इसके द्वारा अन्यथा उपबंधित के सिवाय किसी कर्मचारी की सेवा का प्रारम्भ उस कार्य दिवस के पूर्वान्ह से माना/समझा जायेगा जहां उपस्थित होने के लिए उसे सक्षम प्राधिकारी द्वारा स्थान और समय सूचित किया गया है अभ्यर्थी द्वारा अपरान्ह में कार्यभार ग्रहण करने की दशा में सेवा का प्रारम्भ दूसरे आगामी दिन से माना जाएगा।
(2) बोर्ड/नियुक्ति प्राधिकारी समय-समय पर यह निश्चित करेगा कि कौन सी श्रेणी के कर्मचारी परिवीक्षा पर अपनी नियमित नियुक्ति के पूर्व एक मुश्त वृति के भुगतान पर विनिर्दिष्ट अवधि के लिए प्रशिक्षण पर रखे जाएगें।
20-परिवीक्षा:-
(1) कोई कर्मचारी निगम में किसी नियमित पद पर प्रथम बार चाहे सीधे नियुक्ति होने पर या किसी नियमित पद पर पदोन्नति किये जाने पर नए पद पर कार्यभार ग्रहण करने के दिनाॅक से एक वर्ष की अवधि के लिए परिवीक्षा पर रखा जाएगा, परन्तु आपवादित मामलों में जैसे विशेषज्ञों की नियुक्ति और इसी प्रकार अन्य मामलों में बोर्ड या नियुक्ति प्राधिकारी परिवीक्षा की अवधि को हटा या घटा सकता है।
(2) नए पद पर परिवीक्षा की अवधि के दौरान कर्मचारी के कार्य को देखा जाएगा और नियुक्त प्राधिकारी परिवीक्षा की अवधि को अग्रतर अवधि जो एक वर्ष से अधिक न होगी के लिए बिना उसका कोई कारण बताए बढ़ा सकता है।
21-परिवीक्षा के दौरान कार्यमुक्त:-
(1) किसी पद पर सीधे भर्ती किया गया कोई कर्मचारी यथास्थित परिवीक्षा की अवधि/प्रशिक्षण या बढ़ाई गयी परिवीक्षा अवधि/प्रशिक्षण के दौरान या अन्त में किसी समय नियुक्ति प्राधिकारी के आदेशों के अधीन बिना कोई कारण बताये या सूचना दिये या उसके बदले में कोई वेतन दिये, निगम की सेवा से कार्यमुक्त किया जा सकता है।
(2) कोई कर्मचारी, जो परिवीक्षा पर किसी उच्चतर पद पर पदोन्नत किया गया हो यथास्थिति परिवीक्षा अवधि के दौरान या अन्त में या बढ़ायी गई परिवीक्षा अवधि के दौरान किसी भी समय सक्षम अधिकारी द्वारा अपने मौलिक पद पर प्रत्यावर्तित किया जा सकता है।
22-विनियमन:-
किसी परिवीक्षाधीन व्यक्ति को, यथास्थिति परिवीक्षा अवधि या बढ़ायी गई परिवीक्षा अवधि के अन्त में लिखित में एक आदेश द्वारा नियमित नियुक्ति दी जा सकती है, यदि उसका कार्य और आचरण संतोषजनक बताया जाय, उसकी सत्यनिष्ठा प्रमाणित कर दी जाय और नियुक्ति प्राधिकारी उसे नियुक्ति के लिए अन्यथा उपयुक्त समझे।
23-सेवायोजन की समाप्ति:-
(1) जब तक कि निगम और नियमित कर्मचारी के मध्य लिखित सहमति अनुबंध न हो, कोई कर्मचारी निगम की सेवा से, किसी भी समय ऐसा करने की अपनी इच्छा की लिखित रूप में तीन महीने की सूचना (नोटिस) देकर या यथास्थिति सूचना (नोटिस) की अवधि हेतु देय वेतन के समतुल्य राशि के भुगतान पर या ऐसी अवधि हेतु जिसके द्वारा ऐसी सूचना अवधि तीन महीने से कम हो जाय, भुगतान करके पद त्याग कर सकता है।
(2) जब तक कि निगम और नियमित कर्मचारी के मध्य लिखित में सहमति न हो जाए, निगम किसी कर्मचारी की सेवाएं, बिना कारण बताएं लिखित में कम से कम तीन महीने की सूचना (नोटिस) देकर समाप्त करने का या यथास्थित सूचना (नोटिस) की अवधि हेतु वेतन की धनराशि के समतुल्य राशि का भुगतान करके या ऐसी अवधि के लिए जिसके द्वारा ऐसी सूचना की अवधि तीन महीने से कम हो जाय, भुगतान करके सेवाएं समाप्त कर सकता है।
(3) नियमित कर्मचारियों से भिन्न कर्मचारियों की सेवाएं, बिना कारण बताए एक महीने की सूचना (नोटिस) या उसके स्थान पर वेतन और भत्ते देकर, किसी भी समय समाप्त की जा सकती है।
(4) जब किसी कर्मचारी की सेवाएं किसी दुराचरण के लिए दण्ड के द्वारा समाप्त की जाय या जहाँ कोई कर्मचारी सेवानिवृत्ति या अधिवर्षिता की आयु प्राप्त करने पर सेवा निवृत्त होता है तो उसके बदले में उपर्युक्त प्रकार से कोई सूचना (नोटिस) या उसके बदले वेतन का भुगतान किया जाना अपेक्षित न होगा।
24-त्यागपत्र स्वीकार किया जाना:-
किसी कर्मचारी का त्यागपत्रा तब तक प्रभावी न होगा जब तक कि वह सक्षम प्राधिकारी द्वारा स्वीकार न किया जाय।
सक्षम प्राधिकारी त्यागपत्रा को स्वीकार करने से मना कर सकता है, यदि:-
(1) कर्मचारी, किसी ऐसी विनिर्दिष्ट अवधि के लिए जो पूरी न हुई हो, निगम की सेवा के लिए दायित्व के अधीन हो या:
(2) धन की कोई राशि और/या अन्य उत्तरदायित्वों के प्रति निगम का देनदान हो और ऐसी अवधि तक जब तक कि वह उक्त धनराशि का भुगतान नहीं कर देता या उत्तरदायित्व से मुक्त नहीं कर दिया जाता, या
(3) लिखित में अभिलिखित किये जाने वाले किसी अन्य पर्याप्त आधार के लिए।
25-ज्येष्ठता:-
किसी श्रेणी के अन्तर्गत किसी कर्मचारी की परस्पर ज्येष्ठता अवधारित करने के लिए निगम के सभी कर्मचारियों की श्रेणीवार पद क्रम सूची बनायी जायेगी। प्रबन्ध निदेशक यह आदेश कर सकता है कि किसी विशिष्ट श्रेणी के लिए पद क्रम सूची सम्पूर्ण निगम के लिये या उसके प्रत्येक इकाई के लिए पृथक रूप से तैयार की जायेगी।
टिप्पणी: (1) जहाँ किसी कर्मचारी की ज्येष्ठता नियुक्ति प्राधिकारी के आदेश द्वारा विशेष रूप से नियुक्ति न की गई हो, तो वह सामान्यतया श्रेणी में उसके प्रारम्भ नियमित नियुक्ति के दिनाँक के आधार पर निश्चित की जाएगी। जहॉ कहीं एक ही श्रेणी में एक ही दिनाँक को एक से अधिक व्यक्ति नियुक्त किये गये हों, तो उनकी परस्पर ज्येष्ठता उस आधार पर अवधारित की जायेगी जिस क्रम में अभ्यर्थियों के नाम चयन के 'पैनल' में व्यवस्थित किये गये हों।
(2) जहाँ कोई नियुक्ति पदोन्नति के परिणाम स्वरूप की गई हो और कोई श्रेष्ठता सूची तैयार की गई हो तो किसी कर्मचारी की अगले पदक्रम में परस्पर ज्येष्ठता किसी एक चयन में अपनी उस निम्नतर पदक्रम की ज्येष्ठता के अनुसार किया जायेगा जिससे वे पदोन्नति किये गये हैं।
(3) किसी एक ही श्रेणी में और समान पदक्रम में जहाँ कोई नियुक्ति एक ही दिनाँक को पदोन्नति और सीधी भर्ती द्वारा की जाय तो पदोन्नति द्वारा नियुक्त व्यक्ति सीधी भर्ती ,द्वारा नियुक्त कर्मचारी से ज्येष्ठ समझा जाएगा।
26-सेवा निवृत्ति:-
कोई कर्मचारी सामान्यतया 58 वर्ष की आयु पर सेवानिवृत्त होगा जब तक कि बोर्ड राज्य सरकार की पूर्व अनुमति के साथ सेवायोजन की अवधि का विस्तार न कर दें, जो कि किसी भी दशा में 60 वर्ष की आयु से अधिक न होगी।
(2) किसी कर्मचारी को, जिसने 50 वर्ष की आयु प्राप्त कर ली हो और जिसका कार्य अपेक्षित स्तर की दक्षता से कम का रहा हो, बोर्ड या राज्य सरकार के दिशा निर्देशों के अनुरूप सम्यक् परीक्षण के पश्चात निगम की सेवा से तीन महीने की नोटिस देने के बाद या उसके बदले में 3 महीने का वेतन देकर, अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जा सकती है।
(3) कोई कर्मचारी 45 वर्ष की आयु प्राप्त करने के पश्चात् या 20 वर्ष की निरन्तर सेवा पूण्ज्र्ञ कर लेने के पश्चात् नियुक्ति प्राधिकारी को 3 महीने की नोटिस देकर निगम की सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले सकता है।
नियंत्राण और अपील:-
निगम में कार्यरत अधिकारी भविष्य में नियन्त्राण एवं उपशासनात्मक कार्यवाीर हेतु सिविल सेवा (क्लासिफिकेशन कन्ट्रोल एण्ड अपील) रूल्स के स्थान पर उ0 प्र0 सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली 1999 से शासित होंगे।
व्यावृत्ति:-
इस नियमावली में किसी बात का कोई प्रभाव ऐसे आरक्षण और अन्य रियायतों पर नहीं पड़ेगा जिनका इस सम्बन्ध में सरकार द्वारा समय-समय पर जारी किये गये आदेशों के अनुसार अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य विशेष श्रेणियों के व्यक्तियों के लिए उपलब्ध किया जाना अपेक्षित हो।
अध्याय-चार
वेतन भत्ते और अन्य सेवा शर्त
27. भर्ती के समय वेतन:-
(1) कोई कर्मचारी, प्रशिक्षण की अवधि की समाप्ति पर सीधे भर्ती होने पर यदि कोई हो, पद पर लागू वेतन और भत्ते आहरित करेगा, उपबन्ध यह कि सुपात्रा मामलों में बोर्ड या इस सम्बन्ध में सशक्त प्राधिकारी द्वारा उच्चतर आरम्भिक वेतन अनुमन्य किया जा सकता है।
(2) जब तक कि बोर्ड अन्यथा विहित न करे वेतन का निर्धारण इस विषय पर फाइनेन्शियल हैण्डबुक खण्ड-2 भाग-2 से 4 में दिए गये सुसंगत सरकारी नियमों को दृष्टि में रखते हुए, पदोन्नति के मामलों में किया जायेगा।
28-प्रतिनियुक्ति पद और संविदा पर वेतन का निधारण:-
(1) सरकारी सेवा या अन्य सेवाओं से प्रतिनियुक्ति पर भर्ती किये गये कर्मचारियों के मामलों में निवंधन और शर्तें निगम और परिदाय सेवायोजक के मध्य की सहमति के अनुसार होंगे।
(2) संविदा के कर्मचारियों की दशा में वेतन का निर्धारण, निगम और संबद्ध कर्मचारी के मध्य संविदा की शर्तों के अनुसार किया जाना चाहिए।
29-(क) वार्षिक वेतन वृद्धि:-
(क) (1) उपनियम (2) के उपबन्धों के अनुसार किसी कर्मचारी को वार्षिक वेतन वृद्धि अनुमन्य की जा सकती है, और ऐसे दर पर जो सम्बन्धित कर्मचारी के वेतनमान में दर्शायी गई है, बशर्ते कि वेतनवृद्धि किसी अनुशासनात्मक कार्यवाही के कारण या दक्षता रोक पर न रोकी गई हो।
(2) सभी कर्मचारियों को (सिवाय उनके जो सुसंगत मजदूरी बोर्ड के वेतनमानों द्वारा शासति होते हैं) जिनकी वेतनवृद्धि वर्तमान प्रणाली में किसी कलेण्डर वर्ष के भिन्न-भिन्न दिनाँक को देय होती है, उस महीने के प्रथम दिन को वेतनवृद्धि प्रदान की जायेगी जिसमें कि उनकी वेतन वृद्धि देय होती है।
(3) यदि परिवीक्षा अवधि बढ़ायी जाती है तो, ऐसे विस्तार की वेतनवृद्धि के लिए गणना नहीं की जायेगी, जब तक कि नियुक्ति प्राधिकारी अन्यथा निर्देश न दें।
(4) कोई कर्मचारी, जो असाधारण अवकाश अध्ययन अवकाश या किसी अन्य ऐसे समान अवकाश पर रहा हो, उसके वेतन वृद्धि का दिनाँक तद्नुसार आगे बढ़ा दिया जायेगा और ऐसे अवकाश की अवधि को वेतनवृद्धि के प्रयोजनार्थ नहीं गिना जायेगा।
(5) आपवादिक मामलों में किसी कर्मचारी की प्रारम्भिक भर्ती के समय नियुक्ति प्राधिकारी, उसके अनुभव श्रेष्ठता और अन्य कारणों पर विचार करके अधिकतम पांच अग्रिम दे सकता है।
29-(ख) समय पूर्व वेतनवृद्धि:-
(ख) किसी कर्मचारी को उत्कृष्ठ कार्य के लिए पुरस्कृत करने और उसे निरन्तर उत्कृष्ट कार्य करने के लिए अभिप्रेरित करने के लिए प्रबन्ध निदेशक किसी कर्मचारी को वेतन के समयमान में अधिकतम तीन, समय पूर्व वेतनवृद्धि प्रदान कर सकता है। बोर्ड इस शक्ति के प्रयोग को किसी अन्य प्राधिकारी को प्रत्यायोजित नहीं करेगा।
30-दक्षतारोक पार करना:-
(1) किसी कर्मचारी को दक्षतारोक पार करने की अनुमति नहीं दी जायेगी, जब तक कि नियुक्ति प्रधिकारी का यह समाधान न हो जाय, कि उसने दक्षतापूर्वक और अपनी सर्वोच्च क्षमता से कार्य किया है, और उसकी सत्यनिष्ठा प्रमाणित कर दी गई है।
(2) किसी कर्मचारी को उसके वेतन के समयमान में, उसकी चरित्र पंजिका और नियुक्ति प्राधिकारी की समग्र संस्तुति और/या बोर्ड द्वारा इस सम्बन्ध में विहित विभागीय परीक्षा (परीक्षाओं) को उत्तीर्ण करने के आधार पर दक्षतारोक पार करने की अनुमति दी जा सकती है।?
31-मंहगाई भत्ते:-
राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर जारी किये गये मार्गदर्शी सिद्वांतों/निर्देशों के अधीन रहते हुए, बोर्ड विभिन्न वर्गों और श्रेणियों के कर्मचारियों को अनुमन्य मंहगाई भत्ते की दर और धनराशि को समय-समय पर निश्चित कर सकता है। वे ऐसे भत्तों के स्वीकार करने की विनियमित करने वाले निबंधन और शर्तों को भी विहित कर सकते है।
32-अन्य भत्ते:-
बोर्ड अन्य भत्तों और सुविधाओं यथा नगर प्रतिकर भत्ता, मकान किराया भत्ता, यात्रा भत्ता, चिकित्सकीय सुविधा इत्यादि की स्वीकृति को विनियमित और निश्चित कर सकता है। यह सूची मात्रा दृष्टान्त है और इस नियमावली में इसका उल्लेख से कोई कर्मचारी इस भत्तों की स्वीकृति का हकदार न होगा, जब तक कि यथास्थिति बोर्ड या प्रबन्ध निदेशक द्वारा स्वीकृत न दे दी जाय। ऐसे भत्तों की स्वीकृति देते समय बोर्ड/प्रबन्ध निदेशक राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर जारी मार्गदर्शक सिद्धान्तों निर्देशों द्वारा निर्देशित होंगें।
33-बोनस:-
कर्मचारियों को बोनस का भुगतान, समय-समय पर यथा संशोधित बोनस अधिनियम, 1965 के भुगतान द्वारा, और समय-समय पर बोर्ड के निर्णयों द्वारा भी या राज्य सरकार द्वारा जारी निर्देशनों या मार्गदर्शी सिद्धांतो द्वारा विनियमित किया जाएगा।
34-कार्य के घण्टे:-
कर्मचारीगण कार्य के घण्टों पर उपस्थित रहेंगे जैसा कि प्रबन्ध निदेशक द्वारा या उसके द्वारा प्राधिकृत किसी अन्य सक्षम प्राधिकारी द्वारा समय-समय पर विहित किया जाये।
35-अवकाश:-
प्रत्येक कलेण्डर वर्ष में मनाये जाने वाले अवकाश निगम के कर्मचारियों के प्रबन्ध निदेशक द्वारा विहित किए जायेंगे, जो प्रवृत्त विनियमों को ध्यान में रखेगा।
36-स्थानान्तरण:-
किसी कर्मचारी को भारत वर्ष में कहीं भी तैनात या स्थानान्तरित किया जा सकता है। जब किसी कर्मचारी को किसी एक पद से दूसरे पद पर स्थानान्तरित या पदोन्नति किया जाय, जिसमें मुख्यालय का परिवर्तन भी सम्मिलित है तो वह समय-समय पर बोर्ड द्वारा यथा अवधारित कार्यभार ग्रहण अवधि, स्थानान्तरण भत्ते इत्यादि का हकदार होगा और जब तक कि ऐसा अवधारित है, राज्य सरकार के कर्मचारियों के समान वर्गों पर लागू नियम और विनियम ही लागू होंगे।
परन्तु बोर्ड विशेष परिस्थितियों में किसी विशिष्ट मामले में इस नियम के उपबंधों को शिथिल कर सकता है और ऐसे भत्ते की अनुमति दे सकता है, जैसा वह उचित समझे।
37-दौरा:-
किसी कर्मचारी को उसके सरकारी कर्तव्यों के दौरान भारत वर्ष में कहीं भी प्रबन्ध निदेशक द्वारा या इस सम्बन्ध में प्राधिकृत किसी अन्य अधिकारी द्वारा दौरे पर भेजा जा सकता है।
38-आनुतोषिक:-
आनुतोषिक अधिनियम 1972 के भुगतान द्वारा अच्छादित कर्मचारियों को आनुतोषिक का भुगतान अधिनियम के उपबन्धों के अनुसार किया जाएगा। उन कर्मचारियों के लिए जो अधिनियम द्वारा आच्छादित न हो आनुतोषिक का भुगतान, राज्य सरकार द्वारा जारी सामान्य निर्देशों/मार्गदर्शी सिद्धांतों के अधीन रहते हुए बोर्ड के निर्णयों द्वारा विनियमित होगा।
39-अधिवर्षिता सेवा निवृत्ति लाभ:-
बोर्ड कर्मचारियों के कल्याण के लिये स्थापित किये जाने वाले भविष्य निधि के प्रकार का निश्चय कर सकता है उदाहराणार्थ अंशदायी भविष्य निधि, कर्मचारी भविष्य निधि और पारिवारिक पेंशन योजना या सामान्य भविष्य निधि और/या पारिवारिक पेंशन योजना इत्यादि कर्मचारियों का अंशदान, नियोजक का अंशदान, घटाये जाने की विधि आहरण इत्यादि के सम्बन्ध में नियम और विनियम उस प्रकार होंगे जैसा बोर्ड द्वारा ऐसी भविष्य निधि योजनाओं के स्थापन और परिचालन के लिए तैयार और अनुमोदित किए गए विनिर्दिष्ट नियमों में उपबंधित हो।
40-सेवा का क्षेत्र:-
(1) जब तक अन्यथा सुस्पष्ट रूप से उपबंधित न हो किसी कर्मचारी का सम्पूर्ण समय निगम के अधिकार में होगा। और वह उस क्षमता और स्थान पर निगम की सेवा करेगा जैसा उसे समय-समय पर निर्दिष्ट किया जाय।
(2) कार्य का विनियमन, सुरक्षा, अनुशासन, स्वच्छता, सदाचरण, समय, सामग्री और पैसे की बरबादी को बचाने के प्रयोजनों हेतु निगम के नियम विनियम और अनुदेश और निगम द्वारा प्रवृत्त और प्रख्यापित सभी व्यवस्थाएं, प्रणाली, विधि और प्रक्रियाएं कार्यधारी पर बाध्यकारी होगी तथा कर्मचारियों द्वारा पालन की जायेगी, वह किसी ऐसे व्यक्ति, जिसके नियंत्राणाधीन या अधीक्षण में हो, के द्वारा समय-समय पर दिए गये सभी आदेशों और निर्देशों का पालन करेगा और आज्ञा का पालन करेगा।
(3) कोई कर्मचारी निगम की सेवा ईमानदारी और विश्वासपूर्वक करेगा और निगम के हितों के संबर्धन के लिए पूर्ण प्रयास करेगा और अपनी शासकीय क्षमता से सम्पर्क में आए प्रत्येक व्यक्ति के साथ संव्यवहार में शिष्टाचार, ध्यान और तत्परता प्रदर्शित करेगा।
41-उपस्थिति:-
कर्मचारी कार्य पर आने के समय और कार्यस्थल से जाने के समय, कार्य की अवधि, कार्य के घण्टे इत्यादि से सम्बन्धित समय-समय पर दिये गये अनुदेशों का पालन करेगा, जिसे नोट किया जाएगा।
42-मुख्यालय से अनुपस्थिति:-
कोई कर्मचारी कार्य के मुख्यालय को सक्षम प्राधिकारी की पूर्व अनुमति प्राप्त किये बिना नहीं छोड़ेगा।
43-अन्यत्र सेवायोजन के लिए आवेदन:-
निगम के बाहर अन्यत्र कहीं सेवायोजन की इच्छा रखने वाला कोई कर्मचारी अपना आवेदन निगम के माध्यम के सिवाय नहीं भेजेगा। निगम को ऐसे आवेदन को बिना उसके लिए कोई कारण बताये रोकने का अधिकार होगा।
44-लिखित लेखों का प्रकाशन:-
कोई कर्मचारी अपने विधिक अधिकारों के अधीन रहते हुए उसके द्वारा लिखित कोई लेख या कोई अन्य सामग्री किसी समाचार पत्र (जर्नल) पत्रिका या अन्य प्रकाशन में सक्षम प्राधिकारी की लिखित अनुमति के बिना प्रकाशित नहीं करेगा या करवायेगा। तथा ऐसी अनुमति ऐसे लेखों के लिए आवश्यक न होगी। जो निगम के क्रियाकलाप से सबद्ध न हो और जिनसे प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से निगम का हित किसी भी प्रकार से बाधित होता है।
45-लोक सेवक:-
निगम के सभी कर्मचारी लोक सेवक होंगे जैसा भारतीय दण्ड-संहिता में परिभाषित किया गया है।
46-इस नियमावली के प्रवर्तन का प्रभाव:-
यह नियमावली निगम के उन सभी कर्मचारियों पर लागू होगी जो इस नियमावली के प्रवर्तन दिनाँक को सेवा में है और उन पर भी जो इसके पश्चात् सेवा में नियुक्त होंगे।
इस नियमावली के प्रवर्तन के दिनाॅक से एक महीने की अवधि के भीतर उन कर्मचारियों को जा, निगम की सेवा में है, यह बचन देना होगा कि उन्होनें इस नियमावली को पढ़ और समझ लिया है और उसे स्वीकार करते है। इस नियमावली को अस्वीकार करने पर नियुक्ति प्राधिकारी कर्मचारी की सेवा मुक्ति पर सेवायोजन की शर्तों और निबन्धनों के आधार पर विचार कर सकता है। इस नियमावली के प्रवर्तन के पश्चात् सेवा में नियुक्त होने वाले सभी कर्मचारियों से यह अपेक्षा की जाएगी कि यह निगम में अपने पद पर कार्यभार ग्रहण करने के पूर्व उपरोक्त वचन दे दें।
47-बोर्ड द्वारा प्रयोजन:-
यहाँ विनिर्दिष्ट रूप से उपबन्धित के सिवाय, यह नियमावली बोर्ड द्वारा समय-समय पर शक्तियों के प्रत्यायोजन की स्वीकृति के अधीन होगी।
अध्याय-पांच
अवकाश - नियमावली
48-अवकाश का अधिकार:-
अवकाश का दावा अधिकार के रूप में नही किया जा सकता है। जब सेवा की अनिवार्यता अपेक्षित हो तो किसी भी प्रकार के अवकाश को अस्वीकार या रद्द करने का विवेकाधिकार स्वीकर्ता प्राधिकारी के पास सुरक्षित रहेगा।
49-अवकाश का उपार्जन:-
अवकाश का उपार्जन मात्रा कार्य से होगा अवकाश की समाप्ति पर कार्य से इच्छा पूर्वक अनुपस्थिति को दुराचरण के रूप में माना जायेगा।
50-अवकाश स्वीकर्ता प्राधिकारी:-
जब तक प्रकट रूप से अन्यथा विहित न हो, सेवानिवृत्त के दिनाँक के आगे जाने वाले अवकाश से भिन्न अवकाश निगम के ऐसे प्राधिकारी द्वारा, जिसे बोर्ड या आदेशों द्वारा विनिर्दिष्ट करे स्वीकृत किये जा सकते हैं।
51-प्रारम्भ और समाप्ति:-
अवकाश सामान्यतया उस दिन को प्रारम्भ होता है, जिस दिन प्रभार का अन्तरण प्रभावी होता है, और जिस दिन प्रभार वापस लिया जाय उसके पूर्ववर्ती दिन को समाप्त होता है। ऐसी शर्तों या ऐसी परिस्थितियों के अधीन रखते हुए जैसा कि बोर्ड नियमों या आदेश द्वारा विहित करें, रविवार या अन्य अवकाशों को अवकाश या कार्यभार ग्रहण अवधि के साथ पूर्वयोजित या अनुलग्न की जा सकती है।
52-अवकाश का संयोजन:-
इस नियमावली में उपबन्धित के सिवाय किसी अन्य प्रकार के अवकाश के साथ संयोजन में या निरंतरता में किसी भी प्रकार का अवकाश इस नियमावली के अधीन प्रदान किया जा सकता है।
52-अवकाश के दौरान सेवा योजन:-
सक्षम प्राधिकारी की पूर्व अनुमति के बिना कोई कर्मचारी जो अवकाश पर होगा, सेवा या सेवायोजन ग्रहण नहीं करेगा।
54-अवकाश से वापस आना:-
(1) किसी कर्मचारी को कार्य पर उसके अवकाश की समाप्ति के पूर्व वापस बुलाने के आदेश में यह वर्णित होना चाहिए कि कार्य पर उसकी वापसी वैकल्पिक है, अथवा अनिवार्य है।
(2) यदि वह अनिवार्य हो तो दिनाँक को आदेशित स्टेशन (स्थान) के लिए रवाना होगा उस दिनाँक से कार्य पर माना जायेगा। और इस सम्बन्ध में यात्रा के लिये इस नियमावली के अधीन बोर्ड द्वारा देय यात्रा भत्ते का हकदार होगा, किन्तु जब तक वह कार्य भार ग्रहण नहीं करता, अवकाश वेतन ही आहरित कर सकेगा।
55-अवकाश की समाप्ति पर कार्य वापसी:-
जब तक कि अवकाश प्रदान करने वाले प्राधिकारी द्वारा उसे अनुमति नहीं दी जाती, कोई कर्मचारी जो अवकाश पर हैं, उसको प्रदान किये गए अवकाश की अवधि की समाप्ति के पूर्व कार्य पर वापस नहीं आ सकता है।
56-आकस्मिक अवकाश:-
किसी कलेण्डर वर्ष में कोई कर्मचारी 14 (चैदह) दिन से अनधिक के आकस्मिक अवकाश के लिए हकदार होगा और एक साथ 5 दिन से अधिक न ले सकेगा। उपबन्ध यह कि यदि कोई कर्मचारी निगम की सेवा में किसी कलेण्डर वर्ष के बीच में नियुक्त होता है तो स्वीकर्ता प्राधिकारी, अपने विवेक पर, समानुपात में आकस्मिक अवकाश प्रदान कर सकता है।
57-किसी अन्य अवकाश के साथ आकस्मिक/विशेष के संयोजन पर प्रतिबन्ध:-
किसी अन्य अवकाश के साथ आकस्मिक अवकाश का संयोजन नहीं किया जायेगा और कलेण्डर वर्ष की समाप्ति के साथ वह व्ययगत हो जाएगी।
58-उपार्जित अवकाश:-
किसी कर्मचारी के सेवाकाल के दौरान उपार्जित अवकाश की दर, अग्रतर संचय के व्ययगत होने के प्रारम्भ के पूर्व अधिकतम धनराशि जो अर्जित की जा सकती है, किसी एक समय में किसी कर्मचारी को प्रदान की जा सकने वाली अवकाश की धनराशि राज्य सरकार के कर्मचारियों पर लागू नियमों और विनियमों के समान होगी। तथापि, विशिष्ट मामलों में जहाँ बोर्ड इन नियमों में संशोधन करना चाहता है, राज्य सरकार की पूर्व अनुमति प्राप्त कर ऐसा कर सकता है। जब तक अन्यथा उपबन्धित न किया जाय, प्रतिनियुक्ति पर कर्मचारी और संविदा पर कर्मचारी निगम में प्रचलित सुसंगत अवकाश नियमों द्वारा शासित होंगे।
59-व्यक्तिगत कार्यों पर आधे औसत वेतन पर अवकाश:-
किसी कर्मचारी को, जिस पर ये नियम लागू होते हैं, व्यक्तिगत कार्यों पर अवकाश प्रदान किया जा सकता है, जो उसके सम्पूर्ण सेवाकाल में कुल एक सौ अस्सी दिन (180) से अधिक न होगा। ऐसे अवकाश उसके द्वारा कार्य पर बितायी गयी अवधि के 1/11 की दर से अर्जित किया जायेगा। और किसी एक अवसर पर नब्बे दिन (90) दिन से अधिक के लिए प्रदान नहीं किया जाएगा।
परन्तु जबतक अवकाश स्वीकृत करनें में सक्षम प्राधिकारी के पास यह विश्वास करने का कारण न हो कि अवकाश की समाप्ति पर कर्मचारी कार्य पर वापस आ जाएगा, इस नियमावली के अधीन कोई अवकाश प्रदान नहीं किया जाएगा।
60-असाधारण अवकाश:-
(1) इस नियमावली के अधीन जब कोई अवकाश अनुमन्य न हो, तो किसी कर्मचारी को सेवा के प्रत्येक पूर्ण वर्ष पर 15 दिन की दर पर गणना करके असाधारण अवकाश दिया जा सकता है, जो सामान्यतया किसी एक अवसर पर 120 दिन से अधिक न होगा। और अपने सम्पूर्ण सेवा काल में 365 दिन से अधिक न होगा।
(2) प्राधिकारी, जिसे अवकाश स्वीकृत करने का अधिकार है, इस नियमावली के अधीन अनुमन्य किसी अवकाश के संयोजन में या निरन्तरता में असाधारण अवकाश प्रदान कर सकता है और पूर्वव्याप्त रूप से बिना अवकाश के अनुपस्थित की अवधि को असाधारण अवकाश में गणना कर सकता है।
(3) जहाँ कोई कर्मचारी, जिस पर यह नियम लागू होता है, इस नियम के अधीन प्रदान किये गये असाधारण अवकाश अधिकतम सीमा की समाप्ति के पश्चात् अपने कार्य पर वापस होने में विफल रहता है, या जहाँ ऐसे, कर्मचारी, जिसको अनुमन्य अधिकतम सीमा से कम अवधि का असाधारण अवकाश प्रदान किया गया हो किसी ऐसी अवधि के लिए अनुपस्थित रहता है जो प्रदान किए गये असाधारण अवकाश को मिलाकर उस सीमा से अधिक होता है, जोकि इस नियम के अधीन उसे प्रदान किया जा सकता था, तो उसे अपनी नियुक्ति से त्यागपत्रा दिया हुआ समझा जायेगा और तद्नुसार वह निगम की सेवा में न रह जाएगा जब तक कि मामले की असाधारण परिस्थितियों की दृष्टि से सक्षम प्राधिकारी अन्यथा निर्णय नहीं लेता है। परन्तु उन सभी मामलों में जहाॅ कि कर्मचारी की सेवाएं उपखण्ड(3) के अधीन समाप्ति के लिए प्रस्तावित हो, सक्षम प्राधिकारी उक्त कर्मचारी को उस आशय की सूचना लिखित में देगा।
61-चिकित्सकीय प्रमाण-पत्रा पर अवकाश:-
(1) किसी कर्मचारी, जिस पर यह नियम लागू हो, को चिकित्सकीय आधार पर अवकाश प्रदान किया जा सकता है। इस अवकाश की प्रकृति उपार्जित अवकाश की भांति होगी, प्रत्येक वर्ष हेतु 10 दिन का चिकित्सकीय अवकाश किसी कर्मचारी को प्रदान किया जा सकता है और बिना उपभोग किए गये अवकाश को प्रत्येक वर्ष के जनवरी माह में कर्मचारी के अवकाश के खाते में जमा कर दिया जाएगा। तथापि, गम्भीर बीमारी की दशा में या चिकित्सा अधीक्षक की सलाह पर चिकित्सालय में भर्ती होने पर प्रबन्ध निदेशक द्वारा 30 दिन का अवकाश प्रदान किया जा सकता है और 30 दिन से अधिक अवकाश के लिए मामले को बोर्ड को निर्दिष्ट किया जायेगा। किन्तु बोर्ड द्वारा 30 दिन के अतिरिक्त दिनों के प्रदान किये गये अवकाश का समायोजन प्रति वर्ष 10 दिनों के अवकाश के विरूद्ध किया जाएगा। कोई चिकित्सा अवकाश, केवल ऐसे प्राधिकृत चिकित्सक या चिकित्सकीय बोर्ड के प्रमाण-पत्रा की प्रस्तुति पर प्रदान किया जाएगा जैसा कि प्रबन्ध निदेशक इस सम्बन्ध में सामान्य या विशेष आदेशों द्वारा विनिर्दिष्ट करें और ऐसी अवधि के लिए जो ऐसे प्राधिकृत चिकित्सक या चिकित्सकीय बोर्ड द्वारा संस्तुति किया जाय।
(2) इस नियम के अधीन कोई अवकाश तब तक स्वीकृत नहीं किया जाएगा जब तक अवकाश स्वीकृति करने वाले सक्षम प्राधिकारी का यह समाधान न हो जाय कि इस बात की युक्तिसंगत संभावना है कि कर्मचारी आवेदित अवकाश की समाप्ति पर कार्य पर वापस आने में समर्थ होगा।
(3) कोई कर्मचारी जिसे चिकित्सकीय प्रमाण-पत्रा पर अवकाश प्रदान किया गया है बोर्ड द्वारा यथा विहित प्रपत्रा में पहले स्वस्थता का चिकित्सकीय प्रमाण-पत्रा प्रस्तुत किये बिना कार्य पर वापस नहीं आ सकेगा।
62-विशेष अवकाश:-
विशेष अवकाश ऐसे कर्मचारी पर लागू होगा, जिसे ट्यूबरक्लोसिस (राजयक्षमा) या कैंसर (ग्रण) या ऐसे किसी अन्य रोग की चिकित्सा लेनी हो परन्तु ऐसे विशेष अवकाश के लिए आवेदन-पत्रा किसी अर्ह विशेषज्ञ से प्रमाण-पत्रा द्वारा समर्पित हो और कर्मचारी के पास कोई अन्य अवकाश शेष न रह गया हो। तथापि, विशेष अवकाश की स्वीकृति, विशेष अवकाश की अवधि के दौरान वेतन और भत्तों का विनयमन इत्यादि प्रत्येक मामले में बोर्ड द्वारा निश्चित किये जाएगें।
63-प्रसूति:-
(क) किसी कर्मचारी को, चाहे नियमित हो या अस्थायी, सम्पूर्ण वेतनपर जो वह प्रसूति अवकाश पर जाने के पूर्व आहरित कर रही थी, सक्षम प्राधिकारी द्वारा प्रसूति अवकाश प्रदान किया जा सकता है, जिसकी अवधि का विस्तार:-
(एक) प्रसव समय की दशा में अवकाश के प्रारम्भ के दिनाँक से तीन महीने के अन्त तक होगा।
(दो) गर्भपात (मिसकैरिज) की दशा में गर्भस्त्राव (एवार्शन) को सम्मिलित करते हुए प्रत्येक अवसर पर छः सप्ताह की कुल अवधि तक होगा, प्रतिबन्ध यह कि अवकाश हेतु आवेदन का प्राधिकृत चिकित्सक द्वारा प्रमाण-पत्र से समर्पित होना चाहिए।
परन्तु ऐसा अवकाश सम्पूर्ण सेवा काल मू अस्थायी सेवा को सम्मिलित करते हुए, दो बार से अधिक नहीं प्रदान किया जाएगा।
परन्तु अग्रतर यह कोई ऐसा अवकाश तब तक अनुमन्य नहीं होगा जब तक कि इस नियम के अधीन पिछले प्रसूति अवकाश की समाप्ति के दिनाॅक के बाद दो वर्ष की अवधि व्यतीत न हो गई हो।
(ख) प्रसूति अवकाश किसी अवकाश लेखे के नामे (डेविट) नहीं किया जायगा और किसी अन्य प्रकार के अवकाश के साथ इसका संयोजन नहीं किया जा सकता है।
टिप्पणी (1)
प्रसूति अवकाश की निरंतरता में, नवजात शिशु की बीमारी की दशा में नियमित अवकाश भी, इस आशय के अधीन प्रदान किया जा सकता है कि महिला कर्मचारी प्राधिकृत चिकित्सक द्वारा इस आशय का प्रमाण-पत्रा प्रस्तुत करें कि बीमार शिशु माता की निजी देख-रेख चाहता है और यह कि शिशु के पास उसकी उपस्थिति नितान्त आवश्यक है, प्रतिबन्ध यह कि ऐसा अवकाश केवल उन्हीं कर्मचारियों को अनुमन्य होगा, जिसके अवकाश खाते में उपार्जित अवकाश शेष बचा है।
(2) अस्थायी कर्मचारी की दशा में नियमों के अधीन प्रदत्त अवकाश उस अवधि से अधिक के लिए नहीं बढ़ाया, जहाँ तक कि नियुक्ति के बने रहने की संभावना हो।
64-अध्ययन अवकाश:-
किसी कर्मचारी को, बोर्ड द्वारा भारत में या बाहर वैज्ञानिक, तकनीकी या किसी विशिष्ट प्रकृति के अध्ययन को पूरा करने के प्रयोजन हेतु और जहाॅ बोर्ड का यह समाधान हो जाय कि ऐसा करना निगम के हित में होगा, अध्ययन अवकाश प्रदान किया जा सकता है। बोर्ड द्वारा अध्ययन अवकाश प्राप्त किसी कर्मचारी को परिशिष्ट 'ख' में उल्लिखित प्रकार के अवकाश से वापस आने पर निगम की सेवा करने के लिए एक बन्ध पत्रा का निष्पादन करना होगा।
65-अवकाश वेतन:-
(1) इस नियमावली में अन्यथा उपबन्धित के सिवाय कोई कर्मचारी जो अवकाश पर होगा, अवकाश अवधि के दौरान इस नियम के उपनियम (2),(3),(4) और (5) में यथा उल्लिखित प्रकार से अवकाश वेतन आहरित कर सकेगा।
(2) यदि कोई कर्मचारी नियम 62 में दी गई सीमा के विरूद्ध उपार्जित अवकाश या चिकित्सकीय प्रमाण-पत्रा पर अवकाश पर जाता है तो उपनियम (3) के अधीन रहते हुए कर्मचारी अवकाश प्रारम्भ होने के ठीक पूर्व मौलिक वेतन या वेतन के समान अवकाश वेतन, जो भी अधिक हो, के लिए हकदार होगा।
(3) यदि वह व्यक्तिगत कार्यों हेतु अवकाश पर या नियम 62 के उपनियम-(1) के परन्तुक के अधीन चिकित्सकीय प्रमाण-पत्रा के आधार पर अवकाश पर जाता है तो वह अधिकतम रूपये 750/- या राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर बढ़ायी अधिकतम सीमा के अधीन रहते हुए, यथास्थित ऊपर उपनियम (2) या उपनियम (3) में विनिर्दिष्ट धनराशि के आधे के बराबर अवकाश वेतन के लिए हकदार होगा। उपबन्ध यह कि यह सीमा तब नहीं लागू होगी जब कि अवकाश अध्ययन अवकाश शर्तों से अन्यथा किसी अनुमोदित अध्ययन के लिए हो।
(4) यदि वह असाधारण अवकाश पर जाता है तो वह किसी अवकाश वेतन का हकदार न होगा।
66-अवकाश के दौरान पता प्रस्तुत करने का दायित्व:-
अवकाश पर जाने के पूर्व प्रत्येक कर्मचारी अवकाश प्रदान करने वाले प्राधिकारी को अवकाश की अवधि के दौरान अपना पता सूचित करेगा और अवकाश के दौरान पते में हुए परिवर्तन को उक्त अधिकारी को उसी प्रकार सूचित करेगा।
67-कठिनाइयां दूर करने की शक्ति:-
(1) इस नियमावली के उपबन्ध को प्रवर्तित करने में यदि कोई कठिनाई उत्पन्न होती है तो बोर्ड सामान्य या विशेष आदेश द्वारा ऐसी कार्यवाही कर सकता है, जो उसे कठिनाई दूर करने के प्रयोजनार्थ आवश्यक या समीचीन प्रतीत हो और जो उत्तर प्रदेश सरकार की फाइनैन्शियल हैन्डबुक के खण्ड-दो/भाग दो से चार के उपबन्धों से असंगत न हो।
(2) विशिष्ठ रूप से और पूर्ववर्ती शक्तियों के प्रति बिना कोई प्रतिकूल प्रभाव डाले ऐसा कोई भी आदेश इस नियमावली को अपनाने या संशोधन के लिए किया जा सकता है।
68-अयोग्यता अवकाश:-
(1) ऐसे कर्मचारी को जो अपने कर्तव्य के निर्वहन में दुर्घटना द्वारा प्राप्त चोट के कारण अयोग्य हो गया हो, और दुर्घटना के होने के तीन माह के भीतर ऐसी अयोग्यता यदि प्रकट हो जाये, उसकी अनुपस्थिति की अवधि, जैसी कि प्राधिकृत चिकित्सक द्वारा प्रमाणित की जाय, के लिए उसको देय प्रकार या अवकाश प्रदान दिया जाएगा और इस नियमावली के अधीन देय अवकाश वेतन का भुगतान किया जायेगा।
(2) यदि अयोग्यता की प्रकृति ऐसी असाधारण हो, या दुर्घटना की परिस्थितियां ऐसी हो जोकि दीर्घकालिक और/या असाधारण उपचार का न्यायोचित ठहराती हो तो प्रबन्ध निदेशक की स्वीकृति से कर्मचारी को एक समय पर चार महीने से अनाधिक की अवधि के लिए पूरे वेतन पर विशेष अयोग्यता अवकाश प्रदान किया जा सकता है। यह अवकाश कर्मचारी के अवकाश खाते में नहीं डाला (डेविट) जायेगा। और इसे आकस्मिक अवकाश के सिवाय किसी भी अन्य अवकाश के साथ संयोजित नहीं किया जा सकता है।
(3) विशेष अयोग्यता अवकात की अवधि प्रबन्ध निदेशक द्वारा गठित की जाने वाली चिकित्सकीय परिषद् प्रमाणित होनी चाहिए।?
(4) विशेष अयोग्यता अवकाश को सभी प्रयोजनों हेतु कर्तव्य (ड्यूटी) के रूप में समझा जाएगा और इसे तब तक स्वीकृत नही दिया जाएगा जब तक कि अवकाश वेतन सहित अनुमन्य अन्य सभी अवकाश समाप्त न हो गया हो।
(5) कर्मचारी के सम्पूर्ण सेवा काल के दौरान 12 महीनों से अधिक अवधि या विशेष अयोग्यता अवकाश स्वीकृत नहीं किया जाएगा।
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laLFkk@ fuxe@miØe esa eq[; vfHk;ark vFkok led{k in osru cS.M :0
37400& 67000 xszM osru :0 8700 esa dk;Z djus dk 5 o"kZ
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laLFkk@ fuxe@miØe esa v/kh{k.k vfHk;ark vFkok led{k in osru
cS.M :0 15600& 39100 xszM osru :0 7600 esa dk;Z djus dk 5
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vFkok led{k in osru cS.M :0 15600& 39100 xszM osru :0 6600
eas dk;Z djus dk 5 o"kZ dk vuqHkoA
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laLFkk@fuxe@ miØe esa lgk;d vfHk;ark¼flfoy½ vFkok led{k in osru
cS.M :0 15600&39100 xszM osru :0 5400 esa dk;Z djus dk 5
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8
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laLFkk@fuxe@ miØe esa v/kh{k.k
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15600&39100 xszM osru :0 7600 esa dk;Z djus dk 5 o"kZ
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3
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vFkok led{k in osru cS.M :0 15600&39100 xszM osru :0 6600
esa dk;Z djus dk 5 o"kZ dk vuqHkoA
|
4
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|
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vfHk;ark ¼fo|qr½ $ fo|qr bathfu;fjax esa [;kfr izkIr fo'ofo|ky;
ls fu;fer 'kSf{kd l= ds vUrxZr Lukrd mikf/k/kkjdA
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Lok;Rr'kklh laLFkk@fuxe@ miØe esa lgk;d vfHk;Urk¼fo|qr½ vFkok
led{k in osru cS.M :0 15600&39100 xszM osru :0 5400 esa
dk;Z djus dk 5 o"kZ dk vuqHkoA
|
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@Lok;Rr'kklh laLFkk@fuxe@ miØe esa dk;Z djus dk 2 o"kZ dk
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6
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1
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Lok;Rr'kklh laLFkk@fuxe@ miØe esa vf/k'kklh vfHk;Urk ¼fM0½ in
osru cS.M :0 15600& 39100 xszM osru :0 6600 esa dk;Z djus
dk 5 o"kZ dk vuqHkoA
|
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Lok;Rr'kklh laLFkk@fuxe@ miØe esa lgk;d vfHk;Urk ¼fM0½ vFkok
led{k in osru cS.M :0 15600&39100 xszM osru :0 5400 esa
dk;Z djus dk 5 o"kZ dk vuqHko vFkok ,e0Vsd ¼LVªDpjy
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4
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bathfu;fjax esa ,e0Vsd mikf/k /kkjd dks p;u esa ojh;rk rFkk
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laoxZ&in tSls&tSls fjDr gksaxs lekIr ekus tk;saxsA
|
6
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LVªDpjy
Mªk¶V~leSu xszM&AAA
|
5200&20200
2800
|
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7
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8
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1
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v)Zljdkjh foHkkx ;k laLFkk@fuxe @miØe esa okLrqfon vFkok led{k in
osru cS.M :0 15600& 39100 xszM osru :0 6600 esa dk;Z djus
dk 5 o"kZ dk vuqHkoA
|
4 o"kZ
|
okLrqfon $ okLrqdyk esa [;kfr izkIr
fo'ofo|ky;@ laLFkk ls fu;fer 'kSf{kd l= ds vUrxZr Lukrd
mikf/k/kkjdA
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|
15600&
39100
6600
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|
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esa Lukrd fMxzh ds lkFk fdlh ljdkjh@
v)Zljdkjh
foHkkx ;k laLFkk@fuxe @miØe esa lgk;d okLrqfon vFkok led{k in
osru cS.M :0 15600& 39100 xszM osru :0 5400 esa dk;Z djus
dk 5 o"kZ dk vuqHkoA
|
4 o"kZ
|
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|
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|
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esa Lukrd fMxzh ds lkFk fdlh ljdkjh@
v)Zljdkjh
foHkkx ;k laLFkk@fuxe @miØe esa okLrqdyk esa dk;Z djus dk 2
o"kZ dk vuqHkoA
|
4 o"kZ
|
mi okLrqfon
|
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|
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|
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|
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34800
4200
|
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v)Zljdkjh @foHkkx ;k laLFkk@fuxe @miØe esa okLrqdyk dk;Z dk 2
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dk;Z djus dk vuqHko
|
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|
1
|
2
|
3
|
4
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6
|
7
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8
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9
|
1
|
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|
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67000
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|
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,dkmUVs.V dh mikf/k ds lkFk fdlh ljdkjh@v)Zljdkjh foHkkx ;k
fdlh fo[;kr laLFkk@fuxe@miØe esa 20 o"kZ dk;Z djus dk
vuqHko] ftlesa egkizcU/kd
ds in osru cS.M :0 37400& 67000 xszM osru :0 8900 esa 5
o"kZ dk vuqHkoA
|
3
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|
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|
37400&
67000
8900
|
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|
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|
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,dkmUVs.V dh mikf/k ds lkFk fdlh ljdkjh@v)Zljdkjh foHkkx ;k
fdlh fo[;kr laLFkk@ fuxe@miØe esa 15 o"kZ dk;Z djus dk
vuqHko] ftlesa 5 o"kZ dk vuqHko egkizcU/kd in ds ,d Lrj
uhps ds osrueku dk gksA
|
3
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|
mi
egkizcU/kd ¼foRr ,oa ys[kk½ $ pkVZMZ ,dkmUVs.V dh vfuok;Z
;ksX;rk
|
&
|
3
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mi
egkizcU/kd ¼foRr ,oa ys[kk½
|
37400&
67000
8700
|
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|
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|
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,dkmUVs.V dh mikf/k ds lkFk fdlh ljdkjh@ v)Zljdkjh foHkkx ;k
fdlh fo[;kr laLFkk@ fuxe@miØe esa 10 o"kZ dk;Z djus dk
vuqHko] ftlesa eq[; ys[kkf/kdkjh vFkok led{k osru cS.M
:0
15600& 39100 xzsM osru :0 7600 esa dk;Z djus dk 5 o"kZ
dk vuqHkoA
|
3
o"kZ
|
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ys[kkf/kdkjh $ pkVZMZ
,dkmUVs.V dh vfuok;Z ;ksX;rk
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4
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|
15600&
39100
7600
|
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|
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,dkmUVs.V dh mikf/k ds lkFk fdlh ljdkjh@ v)Zljdkjh foHkkx ;k
fdlh fo[;kr laLFkk@ fuxe@miØe esa osrucS.M :0 15600&39100
xszM osru :0 6600 esa dk;Z djus dk 5 o"kZ dk vuqHkoA
|
4
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|
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|
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|
15600&
39100
6600
|
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|
izksUufr
|
pkVZMZ
,dkmUVs.V dh mikf/k ds lkFk fdlh ljdkjh@ v)Zljdkjh foHkkx ;k
fdlh fo[;kr laLFkk@ fuxe@miØe esa ys[kkf/kdkjh vFkok led{k
osrueku :0 15600&39100 xzsM osru
:0
5400 esa dk;Z djus dk 5 o"kZ dk vuqHkoA
|
4
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|
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vf/kdkjh
|
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|
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|
15600&
39100
6600
|
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|
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|
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,dkmUVs.V dh mikf/k ds lkFk fdlh ljdkjh@ v)Zljdkjh foHkkx ;k
fdlh fo[;kr laLFkk@ fuxe@miØe esa ys[kkf/kdkjh ds in vFkok
led{k osru cS.M :0 15600 &39100 xzsM osru :0 5400 esa dk;Z
djus dk 5 o"kZ dk vuqHkoA
|
4
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|
ys[kkf/kdkjh@lEijh{k.k
vf/kdkjh
|
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|
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|
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39100
5400
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|
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HkrhZ @izksUufr
|
,e0dke0
vFkok lh0,0 b.VjehfM,V dh mikf/k ds lkFk fdlh ljdkjh@v)Zljdkjh
foHkkx ;k laLFkk @fuxe@miØe esa lgk;d ys[kkf/kdkjh vFkok led{k
in osru cS.M :0 9300&34800 xzsM osru :0 4800 esa dk;Z djus
dk 5 o"kZ dk vuqHkoA
|
4
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|
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ys[kkf/kdkjh
|
ys[kkf/kdkjh
ds 50% in lh/kh HkrhZ ,oa 50% in izksUufr ls Hkjs tk;saxsA
|
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|
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vf/kdkjh
|
15600&
39100
5400
|
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laLFkk@miØe esa lgk;d lEijh{k.k vf/kdkjh vFkok led{k in osru
cS.M :0 9300& 34800 xszM is :0 4800 esa dk;Z djus dk 5
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foHkkx ;k laLFkk@ fuxe @miØe esa ys[kk dk;Z dk 08 o"kZ dk
vuqHko] ftlesa ys[kkdkj vFkok led{k in osru cS.M :0 9300 &34800
xzsM osru :0 4200 esa dk;Z djus dk 5 o"kZ dk vuqHkoA
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4
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laLFkk@fuxe@miØe esa ys[kk dk;Z dk 5 o"kZ dk vuqHko]
ftlesa lgk;d ys[kkdkj vFkok led{k in osru cS.M :0 5200&
20200 xzsM osru :0 2800 esa dk;Z djus dk 4 o"kZ dk vuqHkoA
|
4
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laLFkk@fuxe@miØe esa ys[kkdk;Z dk 2 o"kZ dk vuqHkoA
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ds lkFk ilZuy eSustesUV esa fo'ks"kKrk vkSj fdlh ljdkjh@
v)Zljdkjh@Lok;Rr'kklh laLFkk @ fuxe@ miØe esa ilZuy eSustesUV
dk;Z dk 5 o"kZ dk vuqHko vFkok ifCyd ,MfefuLVªs'ku esa
Lukrd@ijkLukrd dh mikf/k ds lkFk ljdkjh@
v)Zljdkjh@Lok;&Rr'kklh laLFkk@ fuxe@ miØe esa ilZuy
vf/kdkjh@ iz'kklfud vf/kdkjh ds in ij osru cS.M :0
15600&39100 xzsM osru :0 5400 esa dk;Z djus dk 5 o"kZZ
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|
4
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|
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iz'kklfud vf/kdkjh @dkfeZd vf/kdkjh ftUgksaus dEI;wVj vkijsVj
lg dk;kZy; lgk;d ¼lgk;d xzsM&AA½] lgk;d xszM&A] izoj
oxZ lgk;d] dk;kZy; v/kh{kd rFkk iz'kklfud vf/kdkjh ds :i esa
dqy feykdj de ls de 18 o"kZ dh lsok iw.kZ dj yh x;h gksA
|
2
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|
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fdlh ljdkjh@
v)Zljdkjh@
Lok;Rr'kklh laLFkk @fuxe@miØe esa dk;kZy; v/kh{kd vFkok led{k
osru cS.M :0 9300&34800 xszM osru :0 4800 esa dk;Z djus dk
5 o"kZ dk vuqHkoA
|
4
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|
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gsrq Ik;kZIr la[;k esa ik= dkfeZd miyC/k u gks rks ,sls dk;kZy;
v/kh{kd ftUgksaus dEI;wVj vkijsVj lg dk;kZy; lgk;d ¼lgk;d
xzsM&AA½] lgk;d xszM&A]
izojoxZ lgk;d rFkk dk;kZy; v/kh{kd ds :i esas dqy feykdj
de ls de 15 o"kZ dh lsok iw.kZ dj yh x;h gksA
|
3
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vf/kdkjh
|
15600&39100
5400
|
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HkrhZ@izksUufr
|
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ekU;rk izkIr fo'ofo|ky;@laLFkk ls ifCyd ,MfefuLVªs'ku esa
Lukrd@ijkLukrd dh mikf/k ds lkFk fdlh ljdkjh@ v)Zljdkjh@
Lok;Rr'kklh laLFkk @fuxe@miØe esa dk;kZy; v/kh{kd vFkok led{k
osru cS.M :0 9300&34800 xszM osru :0 4800 esa dk;Z djus dk
5 o"kZ dk vuqHkoA
|
3
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|
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v/kh{kd
|
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gsrq Ik;kZIr la[;k esa ik= dkfeZd miyC/k u gks rks ,sls dk;kZy;
v/kh{kd ftUgksaus dEI;wVj vkijsVj lg dk;kZy; lgk;d ¼lgk;d
xzsM&AA½] lgk;d xszM&A] izojoxZ lgk;d rFkk dk;kZy;
v/kh{kd ds :i esas dqy feykdj de ls de 15 o"kZ dh lsok
iw.kZ dj yh x;h gksA
|
4
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34800
4800
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ljdkjh@ v)Zljdkjh@ LOkk;Rr'kklh laLFkk@ fuxe@ miØe esa izoj oxZ
lgk;d vFkok led{k osru cS.M :0 9300&34800 xszM osru :0 4200
esa dk;Z djus dk 5 o"kZ dk vuqHkoA
|
4
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|
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oxZ lgk;d $ Lukrd mikf/k
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gsrq Ik;kZIr la[;k esa ik= dkfeZd miyC/k u gks rks ,sls izoj
oxZ lgk;d ftUgksaus lgk;d xszM&AA] A rFkk izoj oxZ lgk;d ds
:i esa dqy feykdj de ls de 12 o"kZ dh lsok iw.kZ dj yh x;h
gksA
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34800
4200
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ljdkjh@ v)Zljdkjh @Lok;Rr'kklh laLFkk@fuxe@ miØe esa lgk;d
xzsM&A vFkok led{k in osru cS.M :0 5200& 20200 xzsM
osru :0 2800 esa dk;Z djus dk 5 Ok"kZ dk vuqHkoA
|
4
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2800
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ekU;rk izkIr fo'ofo|ky;@ laLFkk ls Lukrd dh mikf/k ds lkFk fdlh
ljdkjh@ v)Zljdkjh @Lok;Rr'kklh laLFkk@fuxe@ miØe esa dEI;wVj
vkijsVj lg dk;kZy; lgk;d ¼lgk;d xzsM&AA½] vFkok led{k osru cS.M :0
5200&20200 xsszM osru :0 2400 esa dk;Z djus dk 5 o"kZ
dk vuqHkoA
|
4
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2400
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j[kus okys vH;fFkZ;ksa dks ojh;rkA dEI;wVj ds Kku dh vfuok;ZrkAe`rd vkfJrksa ds ekeyksa
esa vgZrk&
b.VjehfM,V
dh ijh{kk mRrh.kZ gksus ds lkFk&lkFk fgUnh Vad.k esa 25
'kCn izfr feuV dh xfr rFkk dEI;wVj Kku@ ,e0,l0 vkWfQl dh
vfuok;ZrkA vaxzsth Vad.k dk Kku j[kus okys vH;fFkZ;ksa dks
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okf.kT; esa ijkLukrd @fof/k Lukrd dh mikf/k ds lkFk&lkFk fdlh
ljdkjh@ v)Zljdkjh foHkkx @lkoZtfud fuxe @miØe vFkok
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@v)Zljdkjh @ Lok;Rr'kklh laLFkk @fuxe@miØe esa LVksj laca/kh
dk;ksZa dk 2 o"kZ dk vuqHkoA
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5200&20200
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8
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vk'kqys[ku rFkk Vad.k esa 100@30 'kCn izfr feuV dh xfr ds lkFk
fdlh ljdkjh@ v)Zljdkjh@ Lok;Rr'kklh laLFkk@ fuxe@miØe esa futh
lfpo ds :i esa dk;Z djus dk 5 o"kZ dk vuqHko rFkk dEI;wVj
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vk'kqys[ku rFkk Vad.k esa 80@30 'kCn izfr feuV rFkk vaxszth
vk'kqys[ku ,oa Vad.k esa 100@30 'kCn dh xfr ds lkFk fdlh
ljdkjh@v)Zljdkjh@ Lok;Rr'kklh laLFkk@ fuxe@miØe esa oS;fDrd
lgk;d ds :i esa dk;Z djus dk 5 o"kZ dk vuqHko rFkk dEI;wVj
dk KkuA
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izfr feuV rFkk vaxzsth vk'kqys[ku ,oa Vad.k esa 100@30 'kCn
izfr feuV dh xfr ds lkFk fdlh ljdkjh@ v)Zljdkjh@ Lok;Rr'kklh
laLFkk@ fuxe@miØe esa vk'kqfyfid ds :i esa dk;Z djus dk 5
o"kZ dk vuqHko rFkk dEI;wVj dk KkuA
|
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gksus ds lkFk fgUnh vk'kqys[ku@ Vad.k esa 80@30 'kCn izfr feuV
rFkk vaxzsth vk'kqys[ku ,oa Vad.k esa 100@30 'kCn izfr feuV dh
xfrA lkFk gh dEI;wVj Kku dh vfuok;ZrkA
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;ksX;rk@vgZrk
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dk;Z djus dk vuqHko
|
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dh tkuh gSA
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|
1
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2
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1
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6600
|
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|
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ekU;rk izkIr fo'ofo|ky; vFkok laLFkk ls fof/k Lukrd dh fMxzh ds
lkFk fdlh fuxe@ miØe esa osru cS.M :0 15600 &39100 xszM
osru :0 5400 esa fof/kd dk;Z dk 5 o"kZ dk vuqHkoA
|
3
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|
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vf/kdkjh
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2
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|
15600&39100
5400
|
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|
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ekU;rk izkIr fo'ofo|ky; vFkok laLFkk ls fof/k Lukrd dh fMxzh ds
lkFk fdlh fuxe@ miØe esa osru cS.M :0 9300 &34800 xszM osru
:0 4200 esa fof/kd dk;Z djus dk de ls de 4 o"kZ dk vuqHko
vFkok fdlh [;kfr izkIr vf/koDrk ds lkFk lgk;d ds :i esa dk;Z
djus dk 8 o"kZ vuqHkoA
|
4
o"kZ
|
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|
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|
3
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|
9300&34800
4200
|
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lh/kh
HkrhZ@ izksUufr
|
fdlh
ekU;rk izkIr fo'ofo|ky; vFkok laLFkk ls fof/k Lukrd dh mikf/k
ds lkFk fdlh ljdkjh@ v)Zljdkjh laLFkk@ fuxe@ miØe esa fof/k
laca/kh dk;kZsa dk 5 o"kZ dk vuqHkoA
|
4
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|
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|
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|
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5200&20200
2400
|
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|
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|
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|
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bdkbZ;ksa ij pkyd ds 43 rFkk eq[;ky; ij pkyd ds 5 in e`r laoxZ
esa ?kksf"krA mDr in tSls&tSls fjDr gksaxs Lor% lekIr
ekus tk;asxsA
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HkrhZ dh n'kk esa in dh ;ksX;rk@vgZrk
|
izksUufr
dh n'kk esa fuEu in ij dk;Z djus dk vuqHko
|
fuEu
in ftlls inksUufr dh dk;Zokgh dh tkuh gSA
|
vU;
fooj.k
|
1
|
2
|
3
|
4
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5
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6
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8
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9
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1800
|
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1800
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KkuA
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3
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pijklh lg pkSdhnkj@ ifjpkjd@ i=okgd@ ekyh@ fy¶VeSu@ LohijA
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1800
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परिशिष्ट ''ख''
(नियम 64 देखें)
यह.....................................................विलेख एक हजार नौ सौ.........................के............
.....................................मास के............................................................दिन यूo पीo स्टेट कन्स्ट्रक्शन एण्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेडमाण निगम लि0
के प्रथमा (जिसे एतत्पश्चात प्रथम पक्षकार कहा गया है) और
श्री...................................................................................................................पुत्र
श्री....................................................................................................निवासी..........
.....................................................................................................(प्रथम जमानती) और श्री............................................................................................पुत्र श्री...............
................................निवासी.......................................(द्वितीय जमानती) (जिसे एतत्पश्चात सामूहिक रूप से जमानती कहा गया है) के तृतीय पक्ष के समक्ष किया है,
चूँकि द्वितीय पक्ष जो कि प्रथम पक्ष की..........................................के रूप में सेवा कर रहा है और.....
.........................................के.............................................में अपने अध्ययन के निष्पादन हेतु.............................................................................महीने की अवधि के लिए अवकाश पर जाना चाहता है, और प्रथम पक्ष ने ऐसे अवकाश, ऐसे वेतन और ऐसे भत्तों पर एतत्पश्चात आने वाली शर्तो और निबन्धनों पर इस नियमावली के अधीन प्रदान करने की सहमति दे दी है।
अब यह अनुबन्ध-पत्र इस बात का साक्षी है :-
1.
कि द्वितीय पक्षकार, प्रथम पक्षकार द्वारा यथा अनुमोदित मान्यता प्राप्त संस्था से अपने अध्ययन कार्यक्रम का दृढ़तापूर्वक अनुपालन करेगा और प्रथम पक्ष की पूर्व अनुमति के बिना उसके अध्ययन के पाठ्यक्रम में कोई अनुवर्ती परिवर्तन नहीं किया जाएगा।
2.
प्रथम पक्षकार, किसी भी समय बिना कारण बताए, द्वितीय पक्षकार के अध्ययन अवकाश को समाप्त करने का हकदार होगा।
3.
अपने अध्ययन के पाठ्यक्रम की समाप्ति पर द्वितीय पक्षकार प्रथम पक्षकार को समुचित प्रपत्रा पर प्रमाण-प्रा प्रस्तुत करने के साथ उत्तीर्ण परीक्षा या पाठ्यक्रम के प्रारम्भ और समाप्ति के दिनांक को दर्शाते हुए अनुदेशक द्वारा दी गई अभ्युक्ति, यदि कोई सहित विशेष कार्य का प्रमाण-पत्र भी प्रस्तुत करेगा।
4.
यह कि प्रथम प्रक्षकार के अनुदेशों के अनुसार तथा प्रर्याप्त समझे गये वेतन पर द्वितीय पक्षकार अध्ययन के पाठ्यक्रम को पूरा कर लेने के पश्चात् अपने अवकाश की समाप्ति से कम से कम तीन वर्ष की अवधि के प्रथम पक्षाकर की सेवा करने, यदि ऐसी अपेक्षा हो, के लिए सहमत तथा बाध्य है।
परन्तु सर्वदा और एतत्द्वारा यह सहमति दी जाती है, कि इस अनुबन्ध के भंग होने की दशा में द्वितपक्षकार या संयुक्त रूप से या पृथक रूप से उक्त जमानती प्रथम पक्षकार द्वारा एतत्पूर्व उल्लिखित अध्ययन अवकाश के सम्बन्ध में और बाद में वास्तविक रूप में उठाए गए सभी व्ययों को प्रथम पक्षकार को वापस करने और पूर्ण रूप में भुगतान करने लिए जिम्मेदार होगें।
परन्तु अग्रतर और सर्वदा यह कि प्रथम पक्षकार या उसके द्वारा प्राधिकृत किसी व्यक्ति के द्वारा समय प्रदान किये जाने के कारण या किसी कृत्य या किसी छूट के कारण (उक्त जमानतियों की सम्मति या संज्ञान के सहित या बिना) जमानतियों के दायित्व न्यून या वे उसके मुक्त नहीं हो जायेंगे। न ही प्रथम पक्षकार के लिए यह अनिवार्य होगा कि इसके अधीन देय धनराशियों के लिए पर जमानतियों मुकदमा करने से पूर्व द्वितीय पक्षकार पर मुकदमा करें।
और एतद्द्वारा यह घोषणा की जाती है, प्रथम पक्षकार किसी अन्य उपाय पर बिना प्रतिकूल प्रभाव डाले इसके अधीन वसूली प्रभार को सम्मिलित करते हुए सभी देयों को भू-राजस्व के बकाये की भांति वसूल कर सकता है। जिनके साक्ष्य में द्वितीय पक्षकार और जमानतियों ने प्रथम पक्षकार के पक्ष में ऊपर लिखे गए दिन और वर्ष को इस अनुबन्ध-पत्रा को निष्पादित किया है।
िनम्नलिखत की उपस्थिति में,
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द्वितीय पक्षकार द्वारा हस्ताक्षरित।
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1.......................................................
2.......................................................प्रथम जमानती द्वारा हस्ताक्षरित।
निम्नलिखित की उपस्थिति में
1.......................................................द्वि्तीय पक्षकार द्वारा हस्ताक्षरित।
2.......................................................

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